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Sunday, 2 October 2016

2016 Vijayadashami, Dasara puja timings for Jabalpur, India

2016 Vijayadashami, Dasara puja timings for Jabalpur, India

History
Dasha-Hara is the festival of Victory of Good over Evil. There are many variations to this feat, that are believed all across India.
Dasara/ Dussehra is derived from Sanskrit Dasha-harameaning "remover of bad fate" meaning remover of ten heads of Ravana's.
It is also referred to as Navratri and Durgotsav. It is also written as Dashahara, Dussehra Bengali:and Dashain in Nepali.
Victory of Prabhu Ramachandra over Ravana

Vijayadashami is celebrated as victory of Lord Rama over Demon Ravana and also triumph of Goddess Durga over the buffalo Demon Mahishasura. Vijayadashami is also known as Dussehra or Dasara. 
When is Dussehra 2016?
Dussehra 2016 - October 11 (Tuesday)
Vijay Muhurat = 13:52 to 14:38
Duration = 0 Hours 46 Mins
Aparahna Puja Time = 13:06 to 15:25
Duration = 2 Hours 19 Mins
Dashami Tithi Begins = 22:53 on 10/Oct/2016
Dashami Tithi Ends = 22:28 on 11/Oct/2016

Panchang for Vijayadashami Day
Choghadiya Muhurat on Vijayadashami

Dasara is celebrated on the tenth day of the Hindu autumn lunar month of Ashvin, or Ashwayuja which falls in September or October of the Western calendar, from the Shukla Paksha Pratipada, or the day after the new moon which falls in Bhadrapada, to the Dashami, or the tenth day of Ashvin. The first nine days are celebrated as Maha Navratri(Sanskrit: ????????, 'nine nights') or Sharada Navratri {the most important Navratri) and culminates on the tenth day as Dasara.
In India, the harvest season begins at this time and so the Mother Goddess is invoked to start the new harvest season and reactivate the vigor and fertility of the soil. This is done through religious performances and rituals which are thought to invoke cosmic forces that rejuvenate the soil. Many people of the Hindu faith observe Dasara through social gatherings and food offerings to the gods at home and in temples throughout India.In the months of Ashwin and Kartik, Hindus observe a 10 day ceremony of fast, rituals and celebrations.This celebration starts from Navratri and ends with the tenth day festival of “Dussehra”. Navratri and Dussehra is celebrated throughout the country at the same time, with varying rituals, but with great enthusiasm and energy as it marks the end of scorching summer and the start of winter season.
Vijaya Dashami is considered to be an auspicious day for the Indian householder, on which he worships, protects and preserves 'Shakti' (power). According to Scriptures, by worshiping the 'Shakti' on these nine-days the householders attain the threefold power i.e. physical, mental and spiritual, which helps him to progress in life without any difficulty.
The 'Ramlila' - an enactment of the life of Lord Rama, is held during the nine days preceding Dussehra. On the tenth day (Dussehra or Vijay Dasami), larger effigies of Ravana, his son and brother - Meghnadh and Kumbhakarna are set to fire.The theatrical enactment of this dramatic encounter is held throughout the country in which every section of people participates enthusiastically.
In burning the effigies the people are asked to burn the evil within them, and thus follow the path of truth and goodness, bearing in mind the instance of Ravana, who despite all his might and majesty was destroyed for his evil ways
Dussehra Mela (Fairs)
Mela or fairs are a major highlight of Dussehra festivities. Fairs are organized in cities where stalls are set up for shopping and joy-rides and other activities for kids are organized, and the streets are bustling with people gathered to see huge effigies of Ravan burn. Kota Mela and Mysore Dasara Fair are some of the famous fairs on Dussehra..

Friday, 10 June 2016

Edible Water Bottle

Edible Water Bottle 


It can be tough to get your recommended daily intake of water, but a new innovation is making it easier than ever to keep a bottle—or blob—of H2O on hand. 
Created by Rodrigo Garcia Gonzalez, Guillaume Couche, and Pierre Paslier of Skipping Rocks Lab in London, Ooho is an inexpensive, biodegradable "water bottle" that’s paving the way for the future of hydration.
The orb, which Fast Company notes looks like a silicon implant (or a water balloon) is created by taking a frozen ball of water and then encapsulating it in layers of membrane made of calcium chloride, and then brown algae. The process is a riff on a culinary technique called spherification, which is appropriate since the gelatinous coating is edible. Fruits and vegetables aren’t the only way to eat your water anymore.
Ooho recently received a $22,500 sustainability award from the EU, which means we might be seeing more water blobs in the future. While they might not be ready for tossing in your bag on the way out the door, Ooho does have serious potential when it comes to environmental efforts. In America alone, 50 billion plastic bottles are used annually, and the spherical Ooho packaging could one day bump petroleum-based plastic from store shelves.


If the idea of biting into a water blob weirds you out, don’t worry, it’s not a must. Paslier told the Guardian: "At the end of the day you don’t have to eat it. But the edible part shows how natural it is. People are really enthusiastic about the fact that you can create a material for packaging matter that is so harmless that you can eat it."


So natural in fact, that you can even make them yourself at home—though to be honest, the tap might be easier in that case.



Friday, 13 May 2016

निस्वार्थ भाव से कर्म करो

एक बार किसी रेलवे प्लैटफॉर्म पर जब गाड़ी रुकी तो एक लड़का पानी बेचता हुआ निकला।
ट्रेन में बैठे एक सेठ ने उसे आवाज दी,ऐ लड़के इधर आ।
लड़का दौड़कर आया।
उसने पानी का गिलास भरकर से

की ओर बढ़ाया तो सेठ ने पूछा,

कितने पैसे में?
लड़के ने कहा - पच्चीस पैसे।
सेठ ने उससे कहा कि पंदह पैसे में देगा क्या?
यह सुनकर लड़का हल्की मुस्कान

दबाए पानी वापस घड़े में उड़ेलता हुआ आगे बढ़ गया।
उसी डिब्बे में एक महात्मा बैठे थे,

जिन्होंने यह नजारा देखा था कि लड़का मुस्कराय मौन रहा।
जरूर कोई रहस्य उसके मन में होगा।
महात्मा नीचे उतरकर उस लड़के के

पीछे- पीछे गए।
बोले : ऐ लड़के ठहर जरा, यह तो बता तू हंसा क्यों?
वह लड़का बोला,
महाराज, मुझे हंसी इसलिए आई कि सेठजी को प्यास तो लगी ही नहीं थी।

वे तो केवल पानी के गिलास का रेट पूछ रहे थे।
महात्मा ने पूछा -
लड़के, तुझे ऐसा क्यों लगा कि सेठजी को प्यास लगी ही नहीं थी।
लड़के ने जवाब दिया -
महाराज, जिसे वाकई प्यास लगी हो वह कभी रेट नहीं पूछता।
वह तो गिलास लेकर पहले पानी पीता है।

फिर बाद में पूछेगा कि कितने पैसे देने हैं?
पहले कीमत पूछने का अर्थ हुआ कि प्यास लगी ही नहीं है।
वास्तव में जिन्हें ईश्वर और जीवन में

कुछ पाने की तमन्ना होती है,

वे वाद-विवाद में नहीं पड़ते।
पर जिनकी प्यास सच्ची नहीं होती,

वे ही वाद-विवाद में पड़े रहते हैं।

वे साधना के पथ पर आगे नहीं बढ़ते.
अगर भगवान नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यो??
और अगर भगवान हे तो फिर फिक्र क्यों ???
:
" मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता..
अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ...
तो बेशक कहना...
जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी
और जो भी पाया वो रब की मेहेरबानी थी!
खुबसूरत रिश्ता है मेरा और भगवान के बीच में

ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नही....

💞जन्म अपने हाथ में नहीं ;

मरना अपने हाथ में नहीं ;
💞

💞पर जीवन को अपने तरीके से जीना अपने हाथ में होता है💞 ;

💞मस्ती करो मुस्कुराते रहो ;

सबके दिलों में जगह बनाते रहो ।I

जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता हैं

और

जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से,

इस "आरंभ और अंत" के बीच का समय भरपूर हास्य भरा हो.

..बस यही सच्चा जीवन है.

निस्वार्थ भाव से कर्म करो
क्योंकि.....
इस धरा का...
इस धरा पर...
सब धरा रह जायेगा।
🍅🍅🍅🍅🌲🍅🍅🍅🍅

कितना सत्य है ना>>>>>>>

कितना सत्य है ना>>>>>>>



💐
💐भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,

भोजन " प्रसाद "बन जाता है.।

💐💐
भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,
भूख " व्रत " बन जाती है.।


💐💐
भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,
पानी " चरणामृत " बन जाता है.।


💐💐
भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,
सफर " तीर्थयात्रा " बन जाता है.।


🍁🍁
भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,


संगीत " कीर्तन " बन जाता है.।


🍁🍁
भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,
घर " मन्दिर " बन जाता है.।


🌸🌸
भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,
कार्य " कर्म " बन जाता है.।


🌸🌸
भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,
क्रिया "सेवा " बन जाती है.। और...


🌻🌻
भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,
व्यक्ति " मानव " बन जाता है..।


🙏🏼🙏🏼🌺🌺🌺🌺🙏🏼🙏🏼

Water is the elixir(जल ही अमृत है)

Water is the elixir(जल ही अमृत है)
जल ही अमृत है, इसे व्यर्थ न बहाएंजल अमृत ही है। अमृत का अर्थ है जिसे पी कर व्यक्ति मृत न हो। आशय है वह जीवित रहे। अर्थात् जल होगा तो हम मृत न होंगे। सनातन धर्म के शास्त्रों में समुद्र मंथन की कथा विस्तार से आती है। यह मंथन देवों और दानवों ने मिलकर किया था। उद्देश्य था अमृत को पाना। यह अमृत जल से ही और जल रूप में ही आया। सागर अर्थात् गहन जल राशि को जब मथा गया तो अमृत से पहले कई रत्न निकले। इनकी संख्या कुल 14 थी। इनमें लक्ष्मी, कौस्तुभ मणि, पारिजात पुष्प, वारुणी, धन्वंतरि, चंद्रमा, विष, सारंग धनुष, पांचजन्य शंख, कामधेनु गाय, रंभा, उच्चै:श्रवा अश्व, ऐरावत हाथी और अंत में अमृत शामिल था।
जल था तो लक्ष्मी है। लक्ष्मी है तो जगत् का सारा वैभव है। जल न होता तो शायद लक्ष्मी न होती। लक्ष्मी न होती तो संसार की श्री न होती। न सारा कार्य-व्यापार सुगम हो पाता। धन्वंतरि भी जल से प्रकटे अर्थात सभी का आरोग्य जल से व्यक्त हुआ। जल न होता तो औषधियां भी न होतीं। रोग होते तो उनके निदान के साधन सुलभ न होते। इन रत्नों का दाता होने के कारण ही सागर का एक नाम रत्नाकर भी है। जल रत्नदाता है, अमृतदाता है और अमृत तो है ही। इसीलिए जल व्यर्थ बहाना अमृत बहाने के समान है। होली पर हम इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एक बूंद भी अमृत (जल) व्यर्थ न बहे।
आपो ज्योती: रसोमृतंब्रह्म भूर्भुव: स्वरोम्।
जल ऊर्जा है, रस है, अमृत है तथा ब्रह्मांड में व्याप्त पृथ्वी, अंतरिक्ष और आकाश है।
शुक्ल यजुर्वेद
जल नहीं होता तो तीर्थ नहीं होतेजल नहीं होता तो तीर्थ नहीं होते। वे तीर्थ जहां पर हम जाकर अपना लोक और परलोक दोनों संवारते हैं। तीर्थ ही हैं जहां मौजूद जल में स्नान कर हम अपने पापों का शमन करते हैं और संसार सागर को पार करने की ऊर्जा ग्रहण करते हैं। जल नहीं होता तो शायद तीर्थ की अवधारणा ही विकसित नहीं हुई होती। तीर्थ शब्द का आशय ही है जल की ओर जाने वाली सीढिय़ां। अर्थात जल था तो सीढिय़ां बनीं, घाट बने और बाद में उन घाटों पर मंदिरों, देवालयों का निर्माण हुआ।
यह जाना-माना तथ्य है कि पूरी दुनिया में मानव संस्कृति का विकास जलस्रोतों के निकट हुआ है। नदियों, तालाबों या समुद्र के किनारे बड़े-बड़े नगर बसे और मानव संस्कृति विकास की ओर अग्रसर होती गई। पुराने लोग सयाने थे, वे जानते थे कि यदि जल नहीं होगा तो कल नहीं होगा। इसीलिए उन्होंने जल को धर्म से जोड़ा। जल के किनारे नगर बसे और लोग जलस्रोतों पर एकत्र होने लगे तो जल की शुद्धता, पवित्रता की रक्षा तथा उसके संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से पुराने लोगों ने वहां देवालय बनाए। इसी भाव से कि जो लोग इन जलतीर्थों पर आएं, वे जल की महत्ता को समझें। देवताओं की साक्षी में जल संरक्षण का संकल्प लें।
यही कारण है कि भारत की प्राय: सभी नदियों और जलस्रोतों पर स्थित तीर्थ भूमियों में पर्यटन के निमित्त आने वाले लोगों को इन नदियों के घाटों पर बैठने वाले पंडे-पुरोहित सदियों से संकल्प दिला रहे हैं। यह संकल्प भी जल से दिलाया जाता है। यदि जल नहीं होता तो लोग नहीं आते, संकल्प नहीं होते। आज हम भी एक संकल्प लें कि सूखी होली खेलकर जल का संरक्षण करेंगे।
यासु राजा वरुणो यासु सोमो, विश्वेदेवा यासूर्जं मदन्ति।
वैश्वानरो यास्वग्नि: प्रविष्टस्ता आपो देवीरिह मामवन्तु॥
ऋग्वेद- 7.49.4
जिन जलधाराओं में राजा वरुण, सोम, सभी देवगण भरपूर आनंदित होते हैं, जिनके अंतर में वैश्वानर अग्नि समाया है वे जल देवता इस धरती पर हमारी रक्षा करें।
जल अनमोल है, यह परिश्रम से ही मिलता हैजल उन्हें ही सुलभ होता है जो पुरुषार्थ में विश्वास रखते हैं, जिनका लक्ष्य लोक कल्याण होता है। भगीरथ इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। पुराणों में कथा है कपिल मुनि की क्रोधाग्नि से भस्म हुए अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए भगीरथ ने गंगा को धरती पर लाने के लिए तप किया। गंगा प्रसन्न हुई तो उसके वेग को संभालने की समस्या आ गई। भगीरथ विचलित नहीं हुए। उन्होंने शिव की आराधना कर उन्हें इस पर सहमत किया। 
तब गंगा शिव की जटाओं से धरती को धन्य करने के लिए निकली। भगीरथ का उद्देश्य पवित्र व लोक कल्याणकारी था, इसलिए बाधाएं आईं लेकिन जल सुलभ हुआ। गंगा के रूप में पावन जल मुक्ति की कामना में वर्षों से प्रतिक्षारत भगीरथ के पूर्वजों तक पहुंचा और वे मोक्ष को प्राप्त हुए। जल मुक्तिदाता है। संकट में पड़े जीवन को संकट से मुक्त करने वाला भी और मोक्ष की कामना में भगीरथ के पूर्वजों की तरह राख बन अनाम पड़े जीवों का मोक्षदाता भी। सोचें जल न होगा तो ये मुक्ति, ये मोक्ष कैसे संभव होगा।
गंग सकल मुद मंगल मूला।
सब सुख करनि हरनि सब सूला।।
अर्थात गंगा समस्त आनंद मंगलों की मूल है। वे सब सुखों को करने वाली और पीड़ाओं को हरने वाली हैं। 
- श्रीरामचरितमानस, अयोध्याकांड में गंगा जल वंदना
भगवान को पाना है तो जल को सहेजेंजल जीवन रूपी अमृत ही नहीं इससे आगे परमात्मा ही है। वह जगत् का पालक है और पोषक भी। इसीलिए जल को विष्णु कहा गया है। विष्णु का अर्थ है जो सर्वव्यापी हो जिसकी व्यापकता धरती से आसमान तक हो। उनका निवास क्षीरसागर है। नार अर्थात् पानी में अयन अर्थात् घर (निवास) करने के कारण ही विष्णु का एक नाम नारायण है। 
भगवान विष्णु का स्वरूप मेघवर्णी माना गया है। इसका यही अर्थ है कि जल में रहने वाले विष्णु वाष्प रूप में जब अपनी व्यापकता का विस्तार आकाश तक करते हैं, बादलों का रूप धारण कर लेते हैं। यही बादल जब बरसते हैं तो अमृत के रूप में जलधाराएं धरती पर गिरती हैं। आशय यही है कि विष्णु ही अमृत रूपी जल का प्रसार करते हैं। विष्णु की शक्ति उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी हैं जो समुद्र से अर्थात् जल से ही प्रकटी हैं। विष्णु के हृदय पर कौस्तुभ मणि शोभित है। वह भी समुद्र मंथन में जल से एक रत्न के रूप में निकली है। 
जल की शक्तियां, जल के रत्न, जल-सा निर्मल स्वभाव और जल-सी जीवनदायिनी कृपा ही विष्णु को सर्वप्रिय, सर्वपूज्य बनाती है। अत: जल का दुरुपयोग भगवान का अपमान करने जैसा ही है। सिर्फ होली ही नहीं अन्य अवसरों पर भी हम जल का संचय करें, तभी हम भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। 
कुमुद: कुन्दर: कुन्द: पर्जन्य: पावनोऽनिल:। 
अमृताशोऽमृतवपु: सर्वज्ञ: सर्वतोमुख:॥
अर्थात् जल में डूबी पृथ्वी को बाहर लाकर सभी को प्रसन्न करने वाले मेघ के समान सुंदर, पवित्र अंगों के स्वामी, जलरूपी अमृत का देवताओं को पान कराकर स्वयं पान करने वाले सर्वज्ञ और सभी ओर नयनों और मुख से देखने वाले भगवान विष्णु को नमन है।

Monday, 9 May 2016

बाईं करवट सोने के 7 फायदे

बाईं करवट सोने के 7 शानदार फायदे

हम पूरे दिन क्या करते हैं, क्या खाते हैं, कैसे वातावरण में अपना दिन गुज़ारते हैं, इन सभी बातों का हमारे स्वास्थ्य पर खासा असर होता है। लेकिन रात को हम कहां सोते हैं, किस तरह के बेड पर सोते हैं, वह आरामदायक है या नहीं या फिर हम किस दिशा का प्रयोग करके सोते हैं, यह बातें भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रभावी होती हैं।इसमें कोई दो राय नहीं कि पूरी रात एक ही ओर करवट लेकर सोना संभव नहीं है। नींद में हम हम ना जाने कितनी बार करवट बदलते हैं, और अंत में किस पोज़ीशन में सो रहे होते हैं यह हमें खुद भी मालूम नहीं होती। हमें जिस ओर लेटने से आराम मिलता है शायद हम उसी ओर की पोज़ीशन लेकर पूरी रात सोए रहते हैं।
अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद तो चाहिए ही। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका सोने का तरीका भी आपकी सेहत पर असर डालता है? यहां जानिए, बाईं करवट सोने से होते हैं कौन से बेहतरीन फायदे। जानें 7 फायदे –  


1 बाईं करवट सोना आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अच्छा होता है। इससे आपके दिल पर अधिक दबाव नहीं पड़ता, और वह बेहतर तरीके से कार्य कर पाता है। जिससे आप अधिक समय तक स्वस्थ रह पाते हैं।

2 इस तरह से शरीर के विभिन्न अंगों और दिमाग तक रक्त के साथ ऑक्सीजन का प्रवाह ठीक तरीके से होता है, और शरीर के सभी अंग स्वस्थ रहते हैं और अच्छी तरह से कार्य करते हैं।

3 गर्भवती महिलाओं के लिए बाईं करवट सोना ही सबसे बेहतर होता है। क्योंकि उससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इसके अलावा एड़ी, हाथों और पैरों में सूजन की समस्या भी नहीं होती।

4 बाईं करवट सोने से शरीर में रक्त कर संचार बेहतर होता है और नींद भी अच्छी आती है। इस तरह से सोने पर आपको उठने पर थकान महसूस नहीं होगी और पेट संबंधी समस्याएं भी हल हो जाएंगी।

5 इस तरह से सोने पर भोजन अच्छी तरह से पचता है, और पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव भी नहीं पड़ता। बार्ईं करवट सोने से शरीर में जमा होने वाला टॉक्‍सिन लसि‍का तंत्र के माध्यम से निकल जाता है।

6 अगर आपको अक्सर पेट में कब्जियत होती है, तो बाईं ओर सोने से कब्जि‍यत से राहत मिल सकती है। इससे गुरूत्वाकर्षण के कारण भोजन छोटी आंत से बड़ी आंत में बहुत आराम से पहुंचता है और सुबह पेट साफ होने में आसानी होती है।

7 इस तरह से सोने पर पेट का एसिड ऊपर की जगह नीचे की ओर ही जाता है, जिससे एसिडिटी और सीने की जलन नहीं होती। कई बार ठीक तरीके से नहीं सोने की वजह से भी एसिडिटी जैसी समस्या होती है।

Sunday, 8 May 2016

"देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं"

"देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं"
*****

देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
सुबह की सैर में कभी चक्कर खा जाते है ..
सारे मौहल्ले को पता है...पर हमसे छुपाते है
दिन प्रतिदिन अपनी खुराक घटाते हैं
और
तबियत ठीक होने की बात फ़ोन पे बताते है.
ढीली हो गए कपड़ों को टाइट करवाते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
किसी के देहांत की खबर सुन कर घबराते है,
और अपने परहेजों की संख्या बढ़ाते है,
हमारे मोटापे पे हिदायतों के ढेर लगाते है,
"रोज की वर्जिश"के फायदे गिनाते है.
तंदुरुस्ती हज़ार नियामत "हर दफे बताते है, 
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
हर साल बड़े शौक से अपने बैंक जाते है, 
अपने जिन्दा होने का सबूत देकर हर्षाते है,
जरा सी बढी पेंशन पर फूले नहीं समाते है, 
और FIXED DEPOSIT रिन्ऊ करते जाते है,
खुद के लिए नहीं हमारे लिए ही बचाते है.
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
चीज़ें रख के अब अक्सर भूल जाते है, 
फिर उन्हें ढूँढने में सारा घर सर पे उठाते है,
और एक दूसरे को बात बात में हड़काते है,
पर एक दूजे से अलग भी नहीं रह पाते है.
एक ही किस्से को बार बार दोहराते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
चश्में से भी अब ठीक से नहीं देख पाते है,
बीमारी में दवा लेने में नखरे दिखाते है,
एलोपैथी के बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट बताते है,
और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक की ही रट लगाते है,
ज़रूरी ऑपरेशन को भी और आगे टलवाते है.
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
उड़द की दाल अब नहीं पचा पाते है,
लौकी तुरई और धुली मूंगदाल ही अधिकतर खाते है,
दांतों में अटके खाने को तिली से खुजलाते हैं,
पर डेंटिस्ट के पास जाने से कतराते हैं,
"काम चल तो रहा है" की ही धुन लगाते है.
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं..
हर त्यौहार पर हमारे आने की बाट देखते है,
अपने पुराने घर को नई दुल्हन सा चमकाते है,
हमारी पसंदीदा चीजों के ढेर लगाते है,
हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करने के लिए माँ रसोई
 और पापा बाजार दौडे चले जाते है,
पोते-पोतियों से मिलने को कितने आंसू टपकाते है,
देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..
**देखते ही देखते जवान माँ-बाप बूढ़े हो जाते है..

प्रभु की प्राप्ति किसे होती हैं..?

प्रभु की प्राप्ति किसे होती हैं..?
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एक सुन्दर कहानी है :--

एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने इष्ट देव की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ और याद करता था। एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा --
"राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। बोलो तुम्हारी कोई इछा हॆ?"
प्रजा को चाहने वाला राजा बोला --
"भगवन् मेरे पास आपका दिया सब कुछ हैं ।आपकी कृपा से राज्य मे सब प्रकार सुख-शान्ति है । फिर भी मेरी एक ही ईच्छा हैं कि जैसे आपने मुझे दर्शन देकर धन्य किया, वैसे ही मेरी सारी प्रजा को भी कृपा कर दर्शन दीजिये।"
"यह तो सम्भव नहीं है" -- ऐसा कहते हुए भगवान ने राजा को समझाया ।
परन्तु प्रजा को चाहने वाला राजा भगवान् से जिद्द् करने लगा ।
आखिर भगवान को अपने साधक के सामने झुकना पडा ओर वे बोले --
"ठीक है, कल अपनी सारी प्रजा को उस पहाड़ी के पास ले आना और मैं पहाडी के ऊपर से सभी को दर्शन दूँगा ।"
ये सुन कर राजा अत्यन्त प्रसन्न हुअा और भगवान को धन्यवाद दिया ।
अगले दिन सारे नगर मे ढिंढोरा पिटवा दिया कि कल सभी पहाड़ के नीचे मेरे साथ पहुँचे, वहाँ भगवान् आप सबको दर्शन देगें।
दूसरे दिन राजा अपने समस्त प्रजा और स्वजनों को साथ लेकर पहाडी की ओर चलने लगा।
चलते-चलते रास्ते मे एक स्थान पर तांबे कि सिक्कों का पहाड देखा। प्रजा में से कुछ एक लोग उस ओर भागने लगे । तभी ज्ञानी राजा ने सबको सर्तक किया कि कोई उस ओर ध्यान न दे,क्योकि तुम सब भगवान से मिलने जा रहे हो,
इन तांबे के सिक्कों के पीछे अपने भाग्य को लात मत मारो ।
परन्तु लोभ-लालच मे वशीभूत प्रजा के कुछ एक लोग तो तांबे की सिक्कों वाली पहाड़ी की ओर भाग ही गयी और सिक्कों कि गठरी बनाकर अपने घर कि ओर चलने लगे। वे मन ही मन सोच रहे थे, पहले ये सिक्कों को समेट ले, भगवान से तो फिर कभी मिल ही लेगे ।
राजा खिन्न मन से आगे बढे । कुछ दूर चलने पर चांदी कि सिक्कों का चमचमाता पहाड़ दिखाई दिया । इस वार भी बचे हुये प्रजा में से कुछ लोग, उस ओर भागने लगे ओर चांदी के सिक्कों को गठरी बनाकर अपनी घर की ओर चलने लगे। उनके मन मे विचार चल रहा था कि ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है । चांदी के इतने सारे सिक्के फिर मिले न मिले, भगवान तो फिर कभी मिल ही जायेगें ।
इसी प्रकार कुछ दूर और चलने पर सोने के सिक्कों का पहाड़ नजर आया।अब तो प्रजा जनो में बचे हुये सारे लोग तथा राजा के स्वजन भी उस ओर भागने लगे। वे भी दूसरों की तरह सिक्कों कि गठरीयां लाद-लाद कर अपने-अपने घरों की ओर चल दिये ।
अब केवल राजा ओर रानी ही शेष रह गये थे । राजा रानी से कहने लगे --
"देखो कितने लोभी ये लोग । भगवान से मिलने का महत्व ही नहीं जानते हैं।
भगवान के सामने सारी दुनियां की दौलत क्या चीज हैं..?"
सही बात है -- रानी ने राजा कि बात का समर्थन किया और वह आगे बढने लगे। कुछ दुर चलने पर राजा ओर रानी ने देखा कि सप्तरंगि आभा बिखरता हीरों का पहाड़ हैं । अब तो रानी से भी रहा नहीं गया, हीरों के आर्कषण से वह भी दौड पड़ी और हीरों कि गठरी बनाने लगी । फिर भी उसका मन नहीं भरा तो साड़ी के पल्लू मेँ भी बांधने लगी । वजन के कारण रानी के वस्त्र देह से अलग हो गये, परंतु हीरों का तृष्णा अभी भी नहीं मिटी। यह देख राजा को अत्यन्त ही ग्लानि ओर विरक्ति हुई । बड़े दुःखद मन से राजा अकेले ही आगे बढते गये ।
वहाँ सचमुच भगवान खड़े उसका इन्तजार कर रहे थे । राजा को देखते ही भगवान मुसकुराये ओर पुछा -- "कहाँ है तुम्हारी प्रजा और तुम्हारे प्रियजन ।
मैं तो कब से उनसे मिलने के लिये बेकरारी से उनका इन्तजार कर रहा हूॅ ।"
राजा ने शर्म और आत्म-ग्लानि से अपना सर झुका दिया । तब भगवान ने राजा को समझाया --
"राजन, जो लोग अपने जीवन में भौतिक सांसारिक प्राप्ति को मुझसे अधिक मानते हैं, उन्हें कदाचित मेरी प्राप्ति नहीं होती और वह मेरे स्नेह तथा कृपा से भी वंचित रह जाते हैं..!!"
सार..
जो जीव अपनी मन, बुद्धि और आत्मा से भगवान की शरण में जाते हैं, और
सर्व लौकिक सम्बधों को छोडके प्रभु को ही अपना मानते हैं वो ही भगवान के प्रिय बनते हैं..!!

!! प्रेरणादायी प्रसंग !!

!! प्रेरणादायी प्रसंग !!
शादी की बीसवीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे।

संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल था।

प्रेम भी बहुत था दोनों में लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है।

शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं।

बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक प्रस्ताव रखा कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना होता है लेकिन हमारे पास समय ही नहीं होता एक-दूसरे के लिए।

इसलिए मैं दो डायरियाँ ले आती हूँ और हमारी जो भी शिकायत हो हम पूरा साल अपनी-अपनी डायरी में लिखेंगे।

अगले साल इसी दिन हम एक-दूसरे की डायरी पढ़ेंगे ताकि हमें पता चल सके कि हममें कौन सी कमियां हैं जिससे कि उसका पुनरावर्तन ना हो सके। पति भी सहमत हो गया कि विचार तो अच्छा है।

डायरियाँ आ गईं और देखते ही देखते साल बीत गया।

अगले साल फिर विवाह की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर दोनों साथ बैठे।

एक-दूसरे की डायरियाँ लीं। पहले आप, पहले आप की मनुहार हुई।

आखिर में महिला प्रथम की परिपाटी के आधार पर पत्नी की लिखी डायरी पति ने पढ़नी शुरू की।

पहला पन्ना......
दूसरा पन्ना........
तीसरा पन्ना .....

आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा नहीं दिया।
.......

आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए।
.......

आज मेरे फेवरेट हीरो की पिक्चर दिखाने के लिए कहा तो जवाब मिला बहुत थक गया हूँ
........

आज मेरे मायके वाले आए तो उनसे ढंग से बात नहीं की
..........

आज बरसों बाद मेरे लिए साड़ी लाए भी तो पुराने डिजाइन की


ऐसी अनेक रोज़ की छोटी-छोटी फरियादें लिखी हुई थीं।

पढ़कर पति की आँखों में आँसू आ गए।

पूरा पढ़कर पति ने कहा कि मुझे पता ही नहीं था मेरी गल्तियों का।

मैं ध्यान रखूँगा कि आगे से इनकी पुनरावृत्ति ना हो।


अब पत्नी ने पति की डायरी खोली

पहला पन्ना……… कोरा
दूसरा पन्ना……… कोरा
तीसरा पन्ना ……… कोरा


अब दो-चार पन्ने साथ में पलटे वो भी कोरे

फिर 50-100 पन्ने साथ में पलटे तो वो भी कोरे

पत्नी ने कहा कि मुझे पता था कि तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकोगे।

मैंने पूरा साल इतनी मेहनत से तुम्हारी सारी कमियां लिखीं ताकि तुम उन्हें सुधार सको।

और तुमसे इतना भी नहीं हुआ।

पति मुस्कुराया और कहा मैंने सब कुछ अंतिम पृष्ठ पर लिख दिया है।

पत्नी ने उत्सुकता से अंतिम पृष्ठ खोला।

उसमें लिखा था

मैं तुम्हारे मुँह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूँ लेकिन तुमने जो मेरे और मेरे परिवार के लिए त्याग किए हैं और इतने वर्षों में जो असीमित प्रेम दिया है उसके सामने मैं इस डायरी में लिख सकूँ ऐसी कोई कमी मुझे तुममें दिखाई ही नहीं दी।

ऐसा नहीं है कि तुममें कोई कमी नहीं है लेकिन तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण, तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है।

मेरी अनगिनत अक्षम्य भूलों के बाद भी तुमने जीवन के प्रत्येक चरण में छाया बनकर मेरा साथ निभाया है।

अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे दिखाई दे मुझे।

अब रोने की बारी पत्नी की थी।

उसने पति के हाथ से अपनी डायरी लेकर दोनों डायरियाँ अग्नि में स्वाहा कर दीं और साथ में सारे गिले-शिकवे भी।

फिर से उनका जीवन एक नवपरिणीत युगल की भाँति प्रेम से महक उठा।

सीखना केवल ये है कि जब जवानी का सूर्य अस्ताचल की ओर प्रयाण शुरू कर दे तब हम एक-दूसरे की कमियां या गल्तियां ढूँढने की बजाए अगर ये याद करें हमारे साथी ने हमारे लिए कितना त्याग किया है, उसने हमें कितना प्रेम दिया है, कैसे पग-पग पर हमारा साथ दिया है तो निश्चित ही जीवन में प्रेम फिर से पल्लवित हो जाएगा।

बस थोड़ा सा सोचने की देर है

अक्षय तृतीया जो इस वर्ष 9May को है उसका महत्व क्यों है

अक्षय तृतीया जो इस वर्ष 9May को है उसका महत्व क्यों है
अक्षय तृतीया को शास्‍त्रों में अक्षय पुण्य और धन दायक कहा गया है। शास्‍त्रों में बताया गया है क‌ि इस द‌िन व्यक्त‌ि जो भी शुभ काम करता है उसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। उसी तरह इस द‌िन जो व्यक्त‌ि देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेता है उसके घर में हमेशा देवी लक्ष्मी का वास बना रहता है। आप भी चाहें तो इस अक्षय तृतीया अपने घर में देवी लक्ष्मी को बुलाने के यह उपाय आजमा सकते हैं।मान्यता है कि इस दिन किए गए उपाय शीघ्र ही शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले कुछ खास उपाय बता रहे हैं। इन उपायों को विधि-विधान पूर्वक करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
धन लाभ के लिए उपाय
अक्षय तृतीया की रात साधक (उपाय करने वाला) शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जाप करें। मंत्र जाप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
इस उपाय को विधि-विधान पूर्वक संपन्न करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न हो सकती हैं और साधक की धन संबंधी समस्या दूर कर सकती हैं।
 जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी
-🙏 आज  ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
🙏-महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।

🙏-माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था

🙏-द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।

🙏- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।

🙏- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।

🙏-सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।

🙏-ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।

🙏- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।

🙏- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।

🙏- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।


🙏- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है

Tuesday, 3 May 2016

How to Lock Your Car and Why!

Car owners in India please read this.

This is for all car owners. -Victim XXX 

How to Lock Your Car and Why!

"I locked my car. As I walked away I heard my car door unlock. I went back and locked my car again three times. Each time, as soon as I started to walk away, I could hear it unlock again!!

Naturally alarmed, I looked around and there were two men sitting in a car next to the Store. They were obviously watching me intently, and there seemed no doubt they were somehow involved in this very weird situation.

I quickly abandoned my errand, jumped into my car and sped away. I went straight to the police station, told them what had happened, and found out
I was part of a new, and very successful, scheme being used to gain entry into parked cars.

Two weeks later, my friend's son had a similar experience....While traveling, he stopped at a motorway service area to use the toilet. When he came out to his car less than 5 minutes later, someone had managed to get into his car and had stolen his mobile phone, laptop computer, sat-nav, briefcase and other belongings.

He called the police and since there were no signs of his car having been broken into, the police told him he had probably been a victim of the latest robbery tactic there is a device that robbers are using now to clone your security code when you lock your doors on your car using your remote locking device.

They sit a distance away and watch for their next victim. They know you are going inside the Store, restaurant, or whatever and that they now
have a few minutes to steal and run.

The police officer said always to lock your car manually with the key when parking in a public area. That way if there is someone sitting in a car nearby watching for their next victim, it will not be you.

When you lock up with the key upon exiting, it does not send the security code, but if you walk away and use the remote button, it sends the code through the airwaves where it can be easily intercepted by the device.

This is very real. Be aware of what you just read and please pass this information on...

Look how many times we all lock our doors with our remote just to be sure we remembered to lock them -- and bingo, someone has our code...and potentially whatever is in our car."

Please share with everyone you know in the hope that we can stop these thieves!


Forwarded as received.

जानिए सब्जियों एवं फलों के लाभकारी गुण

(1)-केला: 🍌
ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,हड्डियों को मजबूत बनाता है,हृदय की सुरक्षा करता है,अतिसार में लाभदायक है, खांसी में हितकारी है। 

(2)-जामुन:  🌑
केन्सर की रोक थाम,हृदय की सुरक्षा,कब्ज मिटाता है,स्मरण शक्ति बढाता है,रक्त शर्करा नियंत्रित करता है।डायबीटीज में अति लाभदायक।

(3)-सेवफ़ल: 🍎
हृदय की सुरक्षा करता है, दस्त रोकता है,कब्ज में फ़ायदेमंद है,फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है.

(4)-चुकंदर:-🍐
वजन घटाता है,ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,अस्थिक्छरण रोकता है,केंसर के विरुद्ध लडता है,हृदय की सुरक्षा करता है।

(5)-पत्ता गोभी: 🍏
बवासीर में हितकारी है,हृदय रोगों में लाभदायक है,कब्ज मिटाता है,वजन घटाने  में सहायक है। केंसर में फ़ायदेमंद है।

(6)-गाजर:-
नेत्र ज्योति वर्धक है, केंसर प्रतिरोधक है, वजन घटाने मेँ सहायक है, कब्ज मिटाता है, हृदय की सुरक्षा करता है।

(7)- फ़ूल गोभी:-🍈
हड्डियों को मजबूत बनाता है, स्तन केंसर से बचाव करता है, प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी है, चोंट,खरोंच ठीक करता है।

(8)-लहसुन:🍓
कोलेस्टरोल घटाती है, रक्त चाप घटाती है, कीटाणुनाशक है,केंसर से लडती है 

(9)-नींबू:🍊
त्वचा को मुलायम बनाता है,केंसर अवरोधक है, हृदय की सुरक्षा करता है,,ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है, स्कर्वी रोग नाशक है।

(10)-अंगूर:🍇
रक्त प्रवाह वर्धक है, हृदय की सुरक्षा करता है, केंसर से लडता है, गुर्दे की पथरी नष्ट करता है, नेत्र ज्योति वर्धक है।

(11)-आम:🍋
केंसर से बचाव करता है,थायराईड रोग में हितकारी है, पाचन शक्ति बढाता है, याददाश्त की कमजोरी में हितकर है।

(12)-प्याज: 🍑
फ़ंगस रोधी गुण हैं, हार्ट अटेक की रिस्क को कम करता है। जीवाणु नाशक है,केंसर विरोधी है खराब कोलेस्टरोल को घटाता है।

(14)-अलसी के बीज:
मानसिक शक्ति वर्धक है, रोग प्रतिकारक शक्ति को ताकत देता है, डायबीटीज में उपकारी है, हृदय की सुरक्षा करता है, पाचन शक्ति को ठीक करता है।

(15)-संतरा:🍈
हृदय की सुरक्षा करता है, रोग प्रतिकारक शक्ति उन्नत करता है,, श्वसन पथ के विकारों में लाभकारी है, केंसर में हितकारी है

(16)-टमाटर: 🍎
कोलेस्टरोल कम करता है, प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिये उपकारी है,केंसर से बचाव करता है, हृदय की सुरक्षा   ।

(17)-पानी: 🍺
गुर्दे की पथरी नाशक है, वजन  घटाने में सहायक है, केसर के विरुद्ध लडता है, त्वचा के चमक बढाता है।

(18)-अखरोट:
मूड उन्नत करन में सहायक है,  मेमोरी  पावर बढाता है,केंसर से लड सकता है, हृदय रोगों से बचाव करता है, कोलेस्टरोल घटाने मं मददगार है।

(19)-तरबूज:🍉
स्ट्रोक रोकने में उपयोगी है, प्रोस्टेट के स्वास्थ्य के लियेओ हितकारी है, रक्तचाप घटाता है, वजन कम करने में सहायक है।

(20)-अंकुरित गेहूं: 🌾
बडी आंत की केंसर से लडता है, कब्ज प्रतिकारक है, स्ट्रोक से रक्षा करता है, कोलेस्टरोल कम करता है, पाचन सुधारता है।

(21)-चावल:🍚
किडनी स्टोन में हितकारी है, डायबीटीज में लाभदायक है,स्ट्रोक से बचाव करता है, केंसर से लडता है, हृदय की सुरक्षा करता है।

(22)-आलू बुखारा:🍒
हृदय रोगों से बचाव करता है, बुढापा जल्द आने से रोकता है, याददाश्त बढाता है, कोलेस्टरोल घटाता है, कब्ज प्रतिकारक है।

(23)-पाईनएपल:🍍
अतिसार(दस्त) रोकता है, वार्ट्स(मस्से)  ठीक करता है, सर्दी,ठंड से बचाव करता है, अस्थि क्छरण रोकता है। पाचन सुधारता है।

(24)-जौ,जई: 🌽
कोलेस्टरोल घटाता है,केंसर से लडता है, डायबीटीज में उपकारी है,,कब्ज प्रतिकारक्  है ,त्वचा पर शाईनिंग लाता है।

(25)-अंजीर:
रक्त चाप नियंत्रित करता है, स्ट्रोक्स से बचाता है, कोलेस्टरोल कम करता है, केंसर से लडता है,वजन घटाने में सहायक है।

(26)-शकरकंद:🍠
आंखों की रोशनी बढाता है,मूड उन्नत करता है, हड्डिया बलवान बनाता है, केंसर से लडता है ।

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