२४ मार्च - अंतर राष्ट्रीय क्षय रोग दिवस
क्षय रोग/टीबी/तपेदिक के प्रमुख तथ्य।
- भारत में होने वाली मृत्यु के कारणों में से एक टीबी है। इस बीमारी के कारण हर तीन मिनट में दो व्यक्ति और दिन में एक हज़ार व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।
- प्रत्यक्ष प्रेक्षित ट्रीटमेंट, छोटा-कोर्स की रणनीति, भारत में पिछले पैंतीस वर्षों में टीबी के क्षेत्र में किए गए शोध पर आधारित है।
- भारत में वर्ष १९९७ के बाद डॉट्स का सफ़लतापूर्वक संचालन संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया है।
- टीबी से पीड़ित बहुत सारे रोगियों में दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट विकसित होता है, जिसे बहुऔषध-प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआरटीबी) कहा जाता है। डॉट्स को एमडीआर टीबी के उद्भव को रोकने में प्रभावी पाया गया है।
- एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों के टीबी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।
- टीबी पर अक्संर पूछे जाने वाले प्रश्न।
टीबी शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल है:-
- लिम्फ नोड्स (लसीका नोड टीबी)।
- हड्डियों और जोड़ों (कंकाल टीबी)।
- पाचन तंत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल या जठरांत्र टीबी)।
- तंत्रिका तंत्र (केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली टीबी)।
- टीबी का उपचार करने के लिए सबसे बेहतर प्रबंधन पद्धति डॉट्स (प्रत्यक्ष प्रेक्षित ट्रीटमेंट, छोटा-कोर्स) हैं।
- दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी होती है, जिसके कारण कफ़ (श्लेष्मा) पैदा होता है।
- आमतौर पर, साँस लेने में कठिनाई (तकलीफ़) होती है, जिसकी शुरुआत हल्की होती है, लेकिन यह परेशानी धीरे-धीरे बढ़ जाती है।
- वज़न में कमी या भूख न लगना।
- उच्च तापमान ३८ डिग्री सेल्सियस (१००.४ फेरनहाइट) या इससे अधिक हो सकता है।
- अत्यधिक थकान या थकावट होना।
- अधिक से अधिक तीन सप्ताह तक अस्पष्टीकृत दर्द होना।
यूं तो हर दिन ही अनवरत इस रोग के बारे में जानकारी प्रासारित कर आम जन को रोग से बचाव व उपचार की जानकारी दी जाती है | पर आज विशेष रूप से यह किया जाना नियत है |
आज whatsapp user प्रबुद्ध जनों से इस कार्यक्रम में सहयोग आग्रह व अपेक्षा करता हूं |
यह अब लगभग सभी को पता है कि *15 दिन से ज्यादा की खांसी टी बी हो सकती है |
* निकट की शासकीय सुविधा में खखार जॉच करायी जानी चाहिये |
* रोग पाये जाने पर पूरा इलाज मुफ्त ऱोगी के निवास के निकट ' आशा ' के माध्यम से प्रदान कराया जाता है |
* आशा अपने सामने ही रोगी को दवायें गटकवाती है|
( इस सामने ही दवा खिलाने को डॉट्स DOTS - यानी Directly Observed Treatment Shortcourse कहा जाता है )
डॉट्स मतलब
सलाह मुफ्त
जॉच मुफ्त
इलाज मुफ्त
वो भी रोगी के गॉव में....
* यह कोर्स ६-८ माह का होता है |
* रोगियों को विशिष्ट आदर पूर्ण व्यवहार दिया जाता है |
परंतु
लगभग ४-५% रोगी अल्पग्यता के चलते पूरी अवधि इलाज नहीं लेते | परिणाम स्वरूप उनकी टी बी जटिल, "औषधि रोधक" MDR Tb - Multi drug resistant प्रकार की हो जाती है | जो स्वयं को तो लंबी रुग्णता व अंतत: म्रत्यु प्रदान करती ही है, साथ ही समाज में स्वस्थ व्यक्तियों को प्रथम दिन से ही जटिल प्रकार की टी बी फैलाने का काम करते हैं |
* यूं तो क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में इस प्रकार के ' होने ' को रोकने हेतु व्यवस्थायें हैं पर प्रबुद्ध जन के सहयोग के बिना , अपर्याप्त...
आप से निवेदनुपरांत, अपेक्षा है कि जब भी अवसर हो जरूरत मंद को यह जानकारी propogate करें.|
विशेष अनुरोध है कि यथा संभव अपने आसपास कभी भी किसी को भी टीबी का इलाज अधूरा न छोड़ने दें | पहली बार में पूरा इलाज नियमित रूप से लेने हेतु प्रेरित करें |
ये न सोंचें कि किसी को टी बी हो रही तो हो... हमें क्या !
यह हवा से ही फैलती है... कल ...हम और आप तथा हमारे आपके वंशज आज के प्रयासों से ही सुरक्षित हो सकेंगे|
यह आग की भॉति है ...कहीं ये हम पर चरितार्थ न हो ....." आग को होती नहीं अपने पराये की तमीज़ ....ये बात भूल गये आग लगाने वाले ...!"
यदि हम आसपास ग्ञात रोंगियों को नियमित पूरा इलाज पूरा करने को प्रेरित नहीं करते तथा अनियमितता ग्यात होने पर उनहैं नियमित नहीं करवाते तो यह आग लगाने के तुल्य ही होगा |
क्रपया अपने सभी ग्रुप में भेजें ...आग होती नहीं अपने पराये की तमीज़.२४ मार्च - अंतर राष्ट्रीय क्षय रोग दिवस
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