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Wednesday 19 July 2017

गाय के घी के ज़बर्दस्त फायदे

गाय के घी के ज़बर्दस्त फायदे
आमतौर पर घी को खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए यूज किया जाता है। लेकिन आयुर्वेद में इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स दिए गए हैं। इसे रेग्युलर एक चम्मच खाने से कई बीमारियों और परेशानियों को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. बी. एस. राठौर बता रहे हैं देसी घी के हेल्थ पर होने वाले फायदों के बारे में।
घी के फायदे –
पोषक तत्वों से है भरपूर
घी में शॉर्ट चेन फैटी एसिड होते हैं, जिसे पचाना बेहद आसाना होता है और ये हमारे हार्मोन्स के लिए भी फायदेमंद होते हैं. घी में विटामिन ए, डी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल्स, पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको ज्यादा समय तक जवान बनाए रखते हैं.
युवावस्था रखे कायम
एक ग्लास दूध में एक चम्मच गाय का देसी घी और मिश्री मिलाकर पीने से शारीरिक और मानसिक कमज़ोरी दूर होती है. गर्भवती महिला के घी खाने से उसका बच्चा मज़बूत और बुद्धिमान बनता है. इतना ही नहीं काली गाय का घी खाने से बूढ़ा इंसान भी जवान नज़र आने लगता है.
वजन करता है कंट्रोल
घी में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जो शरीर के वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है. शरीर का वजन नियंत्रित हो तो किसी तरह की बीमारी कि चिंता भी नहीं सताती.
आंखों के लिए है फायदेमंद
अगर कोई आंखों की किसी समस्या से पीड़ित है तो उसे एक चम्मच गाय के घी में एक चौथाई काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट व रात को सोते समय खाना चाहिए. इसके बाद एक ग्लास ग्रम दूध पीना चाहिए.
कैंसर से लड़ने में करता है मदद 
खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही गाय के घी में कैंसर से लड़ने के विशेष गुण पाए जाते हैं. यह कैंसर की गांठ को बढ़ने से रोकता है. इसके रोज़ाना सेवन से कैंसर होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
थकान और कमजोरी होती है दूर
शरीर में कमज़ोरी या थकान महसूस होने पर एक ग्लास गुनगुने दूध में गाय का घी मिलाकर पीने से थकान और कमज़ोरी बहुत जल्दी दूर हो जाती है. घी के उपयोग से मांसपेशियां और हड्डियां मज़बूत होती है.
कॉलेस्ट्रॉल को करता है कम
लगातार घी खाने से खून और आंतों में मौजूद कॉलेस्ट्रॉल कम होने लगता है. देसी घी शरीर में बैड कॉलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है और गुड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है.
पाचन क्रिया होती है ठीक
घी पेट के एसिड्स के बहाव को बढ़ाने का काम करता है. जिससे पाचन क्रिया ठीक होती है. देशी घी शरीर में जमा फैट को गलाकर विटामिन में बदलने का काम करता है. खाने में देशी घी मिलाकर खाने से खाना जल्दी डाइजेस्ट होता है और मेटाबॉल्जिम की प्रक्रिया को बढ़ाता है.
दिल के लिए लाभदायक
गाय का घी दिल समेत कई बीमारियों को दूर भगाने में मदद करता है. जिस शख्स को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने को मनाही है, उसे गाय का घी खाना चाहिए, इससे दिल मज़बूत होता है.
एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है घी
गाय के घी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो फ्री रेडिक्ल से लड़ता है और चेहरे की चमक को बरकरार रखता है. घी त्वचा को मुलायम बनाता है और उसे नमी प्रदान करता है. देशी घी से चेहरे पर मसाज करने से निखार बढ़ता है.
● देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है, जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते
गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं। जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रींस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।
यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने कि तथा, धार्मिक समारोह में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है। इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है।
》 गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग :–
1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
4) 20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
5) गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
6) नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।
7) गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
8) गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है
9) गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
10) हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है
11) हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
12) गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
13) गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
14) गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
15) अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
16) हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
17) गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
18) जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
19) देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
20) संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिल्कुल कम हो जाएगी।
21) फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
22) सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
23) दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
24) यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
25) एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
26) गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
27) गाय का घी एक अच्छा(LDL)कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
28) घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।
गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड, प्रोपिलीन ऑक्साइड, फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है, जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं ।
वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।
गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है, वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एकटन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं।
भैंस के दूध के मुकाबले गाय के घी में वसा की मात्रा कम होती है। घी घर पर तैयार करना अच्छा होता है। इसे इतना बनाएं कि वह जल्दी ही खत्म हो जाए। बाद में फिर बना सकते हैं। गाय के दूध में सामान्य दूध की ही तरह ही प्रदूषण का असर हो सकता है, मसलन कीटनाशक और कृत्रिम खाद के अंश चारे के साथ गाय के पेट में जा सकते हैं। जैविक घी में इस तरह के प्रदूषण से बचने की कोशिश की जाती है। यदि संभव हो तो गाय के दूध में कीटनाशकों और रासायनिक खाद के अंश की जांच कराई जा सकती है।
यदि आप स्वस्थ हैं तो घी जरूर खाएं, क्योंकि यह मक्खन से अधिक सुरक्षित है। इसमें तेल से अधिक पोषक तत्व हैं। आपने पंजाब और हरियाणा के निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते हैं, लेकिन सबसे अधिक फिट और मेहनती हैं। यद्यपि घी पर अभी और शोधों के नतीजे आने शेष हैं, लेकिन प्राचीनकाल से ही आयुर्वेद में अल्सर, कब्ज, आंखों की बीमारियों के साथ त्वचा रोगों के इलाज के लिए घी का प्रयोग किया जाता है।
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