यह वाकया दिनांक 6 अगस्त 2017 का है। मै शासकीय कार्य से बैढन के आस पास की प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना में निर्मित सड़कों का इंस्पेक्शन कर रहे थे एवं इंस्पेक्शन के अंत में हम लोग बुधेला ग्राम के पास पहुँच गए। हमारे साथ MPRRDA के श्री एस पी सिंह एवं श्री खान ABM थे। इंस्पेक्शन पूर्ण होने पर श्री सिंह साहब ने कहा कि चलिए साहब हम आपको एक अजूबा दिखाते है। यहाँ पास में एक बुधेला ग्राम है वहाँ पर वीणा वादनी पब्लिक स्कूल है। जिसमें स्कूल के सभी छात्र दोनों हाथों से एक साथ लिखते है। यह एक अजूबा है मैने भी इसके बारे में सुना है आज जब हम लोग इतने पास आ गए है तो अच्छा है कि हम इस आश्चर्य को देखें और हम लोग ग्राम बुधेला पहुंचे। आज का दिन इतवार था इसलिए स्कूल की छुट्टी थी। लेकिन हमारी किस्मत अच्छी थी क्योंकि वहाँ रहने वाले कुछ छात्र थे। हम लोगों ने छात्रों से निवेदन किया कि सयोंग से हमको यहां आने का मौका मिला है और बगैर इस प्रतिभा को देखे जाने का अफ़सोस होगा। हमारे बार बार निवेदन करने पर कुछ छात्रों ने मोबाइल पर अपने प्राचार्य से अनुमति ली एवं अद्भुद प्रतिभा देखने मिली।
हम उसी से परचित कराने जा रहे है। जिसकी कल्पना भी शायद आपने की होगी। यह वास्तव में अदभुत एवं अकल्पनीय है। यह बात हो रही है देश की ऊर्जा राजधानी सिंगरौली म.प्र. के छोटे से गांव बुधेला के वीणा वादनी पब्लिक स्कूल की।
कंप्यूटर से भी तेज स्पीड
वर्तमान में स्कूल में अध्ययनरत करीब 230 छात्र से एक साथ दोनों हाथों से लिखने की कला में पारंगत हो गए है। किसी अच्छे कंप्यूटर आपरेटर से भी तेज रफ़्तार में उनकी कलम चलती है।
दो भाषाओ में एक साथ लेखन
दिमाग और नजरों से इतने मजबूत है कि दोनों हाथ से हिंदी -अंग्रेजी ,उर्दू -रोमन ,रोमन में गिनती -हिंदी में गिनती अर्थात दो भाषाओं में लिख कर हैरत में डाल देते है।
दिमाग और नजरों से इतने मजबूत है कि दोनों हाथ से हिंदी -अंग्रेजी ,उर्दू -रोमन ,रोमन में गिनती -हिंदी में गिनती अर्थात दो भाषाओं में लिख कर हैरत में डाल देते है।
बच्चों को 7 भाषाओं का ज्ञान
स्कूल में क्लास 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है। नन्हें हाथ देवनागरी लिपि ,उर्दू ,स्पेनिश, रोमन ,अंग्रेजी ,अरबी एवं हिंदी में लिखते है। दोनों हाथों से लिखने का कम्पटीशन होता है। जिसमे बच्चे 11 घण्टे में 24000 शब्द लिखने की छमता रखते है।
स्कूल में क्लास 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है। नन्हें हाथ देवनागरी लिपि ,उर्दू ,स्पेनिश, रोमन ,अंग्रेजी ,अरबी एवं हिंदी में लिखते है। दोनों हाथों से लिखने का कम्पटीशन होता है। जिसमे बच्चे 11 घण्टे में 24000 शब्द लिखने की छमता रखते है।
250 शब्दों का अनुवाद
45 सेकंड में उर्दू में गिनती ,1 मिनिट में संस्कृत में पहाड़ा , 1 मिनिट में दो भाषाओ के 250 शब्दों का अनुवाद कर देते है। स्कूल के आस पास से पोंडी ,बुधेला ,पिपरा ,नौगई , डिंगही ,बिहरा ,राजा सरई आदि ग्राम के बच्चे यह कला सीख रहे है।
45 सेकंड में उर्दू में गिनती ,1 मिनिट में संस्कृत में पहाड़ा , 1 मिनिट में दो भाषाओ के 250 शब्दों का अनुवाद कर देते है। स्कूल के आस पास से पोंडी ,बुधेला ,पिपरा ,नौगई , डिंगही ,बिहरा ,राजा सरई आदि ग्राम के बच्चे यह कला सीख रहे है।
इस कला को क्या कहते है।
इस कला को उभयहस्त कौशल Ambidextrous skill कहते है।
सव्यसाची कौशल ,बायें और दाहिने दोनों उपांगो ,जैसे दोनों हाथ से काम करने में समान रूप से निपुण होने की स्थिति को उभय उपांग कौशल या उभयहस्त कौशल या सव्यसाची कौशल कहते है। मिश्रित प्रभुत्व की यह एक सबसे मशहूर कौशलों में से एक है। प्राकृतिक रूप से उभयहस्त कौशल या सव्यसाची लोग दुर्लभ हुआ करते है। सौ में से एक व्यक्ति सव्यसाची कौशल हुआ करता है। आधुनिक समय में उभयहस्त कौशल या सव्यसाची माने जाने वाले व्यक्तियों का पाया जाना अधिक आम बात हो गयी है। जो लोग मूलतः बायें हाथ वाले होते है या जो जानकर उभयहस्त कौशल या सव्यसाची बनते है उन्हें बचपन से स्कूल अथवा सस्थानों में सीखना पड़ता है। जहाँ दोनों हाथ से कार्य करने पर जोर दिया जाता है।
बाजीगर ,तैराकी ,तालवाद्य कीबोर्ड संगीत ,बेसबाल ,सर्जरी ,मुक्केबाजी ,मार्शल आर्ट्स और बास्केटबाल जैसी गतिविधियों के लिए दोनों हाथों की निपुणता के कारण उभयहस्तकौशलता को अक्सर प्रोत्साहित किया जाता है।
अन्य खेलों में उभयहस्तकौशल का महत्व
भिड़ंत वाले खेलों में अपने विरोधी का सामना करने के लिए या तो दाहिने हाथ की मुद्रा -ऑर्थोडॉक्स -में वायें कंधे को आगे करते है या फिर बायें हाथ की मुद्रा -साउथ पौ -में दाहिने कंधे को आगे करते है इसका उल्टा प्रभाव उपयोगी होता है।
फुटबाल में दोनों पैरों से किक मारने में सछम होने से पास करने और गोल मारने के अधिक मौके प्राप्त होते है साथ ही दोनों पैरों के महत्त्व की छमता बढ़ती है। इसलिए जिन खिलाड़ियों में दछता के साथ साथ कमजोर पैर के उपयोग की छमता होती है वे टीम के लिए बेशकीमती होते है।
बेसबॉल ,फुटबॉल और बास्केटबाल क्र खेलों में उभयहस्तकौशल की बड़ी क़द्र है।
-स्विच हिटिंग - बहुत ही आम घटना है और इसकी बड़ी क़द्र है क्योकि किसी बल्लेबाज के पास आमतोर पर बेसबॉल को सफलतापूर्वक हिट करने के लिए बहुत अधिक सांख्यिकीय मौका होता है। जब उसे किसी विपरीत हाथ वाले पिचिर दवारा फेंका जाता है। इसलिए उभयहस्तकौशल वयक्ति किसी ओर से बल्लेबाजी कर सकता है जो उस स्थिति में उसके लिए बहुत लाभदायक है।
सचिन तेंदुलकर लिखने और खाने के लिए बाएं हाथ का उपयोग करते है लेकिन बल्लेबाजी और गेंद बाजी दाये हाथ से करते है। इसके विपरीत उदहारण भी है क्रिकेट में भी दोनों हाथों से सछम होना फायदेमंद है। सव्यसाची फील्डर एक हाथ से कैच ले सकते है या किसी भी हाथ से गेंद फेकसकते हैं।
अपने गैर प्रमुख हाथ से लिखना संभव है -
अभ्यास और संकल्प से ज्यादा कुछ नहीं। शुरुआत में आपका हाथ तनाव महसूस करता है लेकिन ब्रेक ले ले कर प्रयास करने से सीखना आसान हो जाता है। अगर आप रोजाना अभ्यास करते है तो आपका कमजोर हाथ 2--3 महीनों में काफी अच्छा लिखने लगेगा। उभयहस्तकौशलता एक प्रतिभा है जो कि व्यक्ति के साथ पैदा होती है। हालांकि यह एक ऐसा कौशल भी है जिसे आप सीख सकते है।
अभ्यास और संकल्प से ज्यादा कुछ नहीं। शुरुआत में आपका हाथ तनाव महसूस करता है लेकिन ब्रेक ले ले कर प्रयास करने से सीखना आसान हो जाता है। अगर आप रोजाना अभ्यास करते है तो आपका कमजोर हाथ 2--3 महीनों में काफी अच्छा लिखने लगेगा। उभयहस्तकौशलता एक प्रतिभा है जो कि व्यक्ति के साथ पैदा होती है। हालांकि यह एक ऐसा कौशल भी है जिसे आप सीख सकते है।
प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से मिली प्रेरणा
बुधेला ग्राम में वीणा वादनी पब्लिक स्कूल की स्थापना 8 जुलाई 1999 को एक पूर्व सैनिक श्री वीरंगद शर्मा जी ने की थी। जो उस समय जबलपुर में आर्मी में ट्रेनिंग ले रहे थे। उनका कहना है कि एक बस में यात्रा के दौरान वह एक पत्रिका में पढ़ा कि प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दोनों हाथों लिखते थे।
जिज्ञासा हुई ऐसा कैसे हो सकता है उन्होंने खुद काफी प्रयास किया लेकिन विफल रहे फिर बच्चों को सिखाने का प्रयास किया सफल हुए और इस प्रकार विद्यालय की नीव पड़ी। अब सभी बच्चों के दोनों हाथो से एक साथ लिखने की कला विशेषज्ञता बन गई।शुरुवात में विद्यालय खोलते समय अभिभावकों यह नहीं बताया था कि दोनों हाथों से लिखना सिखाऊंगा। बच्चों को धीरे धीरे लिखना सिखाया फिर बच्चों ने इधर उधर अपनी प्रतिभा दिखाई। आज स्कूल में 230 से अधिक बच्चे है। अधिकांश छात्र दलित और आदिवासी है। अब बच्चों के दोनों हाथों से लिखने की कला स्कूल का रूटीन हिस्सा है।
बुधेला ग्राम में वीणा वादनी पब्लिक स्कूल की स्थापना 8 जुलाई 1999 को एक पूर्व सैनिक श्री वीरंगद शर्मा जी ने की थी। जो उस समय जबलपुर में आर्मी में ट्रेनिंग ले रहे थे। उनका कहना है कि एक बस में यात्रा के दौरान वह एक पत्रिका में पढ़ा कि प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दोनों हाथों लिखते थे।
जिज्ञासा हुई ऐसा कैसे हो सकता है उन्होंने खुद काफी प्रयास किया लेकिन विफल रहे फिर बच्चों को सिखाने का प्रयास किया सफल हुए और इस प्रकार विद्यालय की नीव पड़ी। अब सभी बच्चों के दोनों हाथो से एक साथ लिखने की कला विशेषज्ञता बन गई।शुरुवात में विद्यालय खोलते समय अभिभावकों यह नहीं बताया था कि दोनों हाथों से लिखना सिखाऊंगा। बच्चों को धीरे धीरे लिखना सिखाया फिर बच्चों ने इधर उधर अपनी प्रतिभा दिखाई। आज स्कूल में 230 से अधिक बच्चे है। अधिकांश छात्र दलित और आदिवासी है। अब बच्चों के दोनों हाथों से लिखने की कला स्कूल का रूटीन हिस्सा है।
अभावों में पलती प्रतिभा
संसाधनों के हिसाब से भले ही ये स्कूल अति पिछड़ा हो पर यहाँ की प्रतिभा सब को मात दे रही है। यहीं के छात्र रहे आशुतोष शर्मा ने सिंगरौली के उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नौवीं कछा में मैथ्स 100 में से 99 अंक अर्जित किये जो रिकार्ड है।
संसाधनों के हिसाब से भले ही ये स्कूल अति पिछड़ा हो पर यहाँ की प्रतिभा सब को मात दे रही है। यहीं के छात्र रहे आशुतोष शर्मा ने सिंगरौली के उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नौवीं कछा में मैथ्स 100 में से 99 अंक अर्जित किये जो रिकार्ड है।
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