कोलेस्ट्रॉल एक वसा है ,जो लीवर दवारा उत्पन्न होती है। यह शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने के लिये जरुरी है। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है ,एल डी एल [लो डेंसिटी लिपो प्रोटीन ] और एच डी एल [ हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन ] एल डी एल को बुरा कोलेस्ट्रॉल कहते है। एल डी एल कोलेस्ट्रॉल को लीवर से कोशिकाओं में ले जाता है। अगर इसकी मात्रा अधिक होगी तो यह कोशिकाओं में हानिकारक रूप में इककठा होने लगता है। एल डी एल धमनियों को संकरा कर देता है , जिससे रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता है। एच डी एल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहते है। यह ह्दय धमनी रोग एवं स्ट्रोक से बचाता है। शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा १% से कम होने से हार्ट अटैक की संभावना ३% बढ़ जाती है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना ही नहीं कम होना भी नुकसान दायक होता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर के कम होने से कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को जरुरी है कि वह अपना रक्तचाप [बी पी ] कम रखें। , नहीं तो कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को खतरा
पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होने की आशंका ज्यादा होती है पुरुषों में सामान्यतः 45 साल की उम्र में महिलाओं में सामान्यतः 55 साल की उम्र में यह बीमारी होती है। इसके साथ हाई ब्लड प्रेशर , लो एच डी एल और कोलेस्ट्रॉल की फैमिली हिस्ट्री होने का भी प्रभाव पड़ता है। जिन महिलाओं में मेनोपॉज जल्दी होता है ,उनमे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने की आशंका दूसरी महिलाओं के मुकाबले अधिक होती है। यदि उम्र 20 वर्ष से अधिक है तो लिपिड प्रोफाइल [ कोलेस्ट्रॉल के लिए की जाने बाली ] की जाँच कराइये। सामान्य होने पर भी हर पांच साल में यह टेस्ट अवश्य कराइये।
बुखार या कोई अन्य बीमारी के समय भी रक्त जाँच कराना जरुरी होता है ,क्योकि कई बार कोलेस्ट्रॉल पर इसका प्रभाव पढ़ने की आशंका होती है।
बच्चों को भी खतरा
बच्चे भी कोलेस्ट्रॉल के शिकार हो सकते है। इसलिए अगर घर में किसी भी बड़े को ये बीमारी हो तो पहली बार लिपिड प्रोफाइल की जाँच ५ साल की उम्र में करा लेनी चाहिए। खासकर अगर बच्चे के माँ -बाप ,दादा -दादी , या नाना -नानी को ये बीमारी हो तो ये जाँच जरुरी है। इससे जल्दी पता चल जायेगा। अगर उसे खतरा है तो छोटी उम्र से ही सावधानी बरतना शुरू किया जा सकता है।
डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को जरुरी है कि वह अपना रक्तचाप [बी पी ] कम रखें। , नहीं तो कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को खतरा
पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होने की आशंका ज्यादा होती है पुरुषों में सामान्यतः 45 साल की उम्र में महिलाओं में सामान्यतः 55 साल की उम्र में यह बीमारी होती है। इसके साथ हाई ब्लड प्रेशर , लो एच डी एल और कोलेस्ट्रॉल की फैमिली हिस्ट्री होने का भी प्रभाव पड़ता है। जिन महिलाओं में मेनोपॉज जल्दी होता है ,उनमे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने की आशंका दूसरी महिलाओं के मुकाबले अधिक होती है। यदि उम्र 20 वर्ष से अधिक है तो लिपिड प्रोफाइल [ कोलेस्ट्रॉल के लिए की जाने बाली ] की जाँच कराइये। सामान्य होने पर भी हर पांच साल में यह टेस्ट अवश्य कराइये।
बुखार या कोई अन्य बीमारी के समय भी रक्त जाँच कराना जरुरी होता है ,क्योकि कई बार कोलेस्ट्रॉल पर इसका प्रभाव पढ़ने की आशंका होती है।
बच्चों को भी खतरा
बच्चे भी कोलेस्ट्रॉल के शिकार हो सकते है। इसलिए अगर घर में किसी भी बड़े को ये बीमारी हो तो पहली बार लिपिड प्रोफाइल की जाँच ५ साल की उम्र में करा लेनी चाहिए। खासकर अगर बच्चे के माँ -बाप ,दादा -दादी , या नाना -नानी को ये बीमारी हो तो ये जाँच जरुरी है। इससे जल्दी पता चल जायेगा। अगर उसे खतरा है तो छोटी उम्र से ही सावधानी बरतना शुरू किया जा सकता है।
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