जीका वायरस
लैटिन अमरीकी देशों में जिका वायरस का असर तेज हो गया है विश्व सवास्थ संगठन [W.H.O.] के अनुसार साल के अंत तक करीब ४० लाख इसकी चपेट में आ सकते है। इसका असर ब्राजील ओलम्पिक खेलों में भी पड़ सकता है।
जीका एडीस एजिप्टी नाम के मछ्छर से फैलने वाले वायरस है। यह वही मछ्छर है जो यलो फीवर।,डेंगू,और चिकनगुनिया फैलाने के लिए जिम्मेदार है। 1947 में अफीरिकी देश यूगांडा में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था।
गर्भवती महिलाओ को इससे खतरा होता है।
इस वायरस की वजह से बच्चे छोटे सिर [माइक्रो सेफेली ] के साथ पैदा होते है।
माइक्रो सेफेली, न्यूरोलॉजिकल एक ऐसी समस्या है। जिसमे ब्रेन पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाता है। कई मामलों में विक्लांगता के साथ जान को खतरा बना रहता है।
लछण
बुखार एवं चिड़चिड़ापन
आखों का लाल होना
जोड़ों में तेज दर्द
खुजली और मतली
कैसे बचे
अब तक इस वायरस से निपटने के लिए कोई वेक्सीन नहीं बनी है। इसकी पहचान का कोई भी सामान्य टेस्ट नहीं है। फ़िलहाल तो हर हाल में मछ्छरो के काटने से बचना ही एक उपाय है। जिसके लिए पूरा शरीर ढक कर रखें ,आस पास पानी जमा न होने दे। ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।
रिओ ओलम्पिक खेल में असर
No comments:
Post a Comment