श्रीकृष्ण जी के संबंघ में रोचक जानकारी-----
श्री कृष्ण को अलग अलग स्थानों में अलग अलग नामो से जाना जाता है।
प्रदेश में
कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामो से जानते है।
🚩राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से जानते है।
🚩महाराष्ट्र में बिट्ठल के नाम से भगवान् जाने जाते है।
🚩उड़ीसा में जगन्नाथ के नाम से जाने जाते है।
🚩बंगाल में गोपालजी के नाम से जाने जाते है।
🚩दक्षिण भारत में वेंकटेश या गोविंदा के नाम से जाने जाते है।
🚩गुजरात में द्वारिकाधीश के नाम से जाने जाते है।
🚩असम,त्रिपुरा,नेपाल इत्यादि पूर्वोत्तर क्षेत्रो में कृष्ण नाम से ही पूजा होती है।
🚩मलेसिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस इत्यादि देशो में कृष्ण नाम ही विख्यात है।
🚩गोविन्द या गोपाल में गो शब्द का अर्थ गाय एवं इन्द्रियों, दोनों से है। गो एक संस्कृत शब्द है और ऋग्वेद में गो का अर्थ होता है मनुष्य की इंद्रिया जो इन्द्रियों का विजेता हो जिसके वश में इंद्रिया हो वही गोविंद है गोपाल है।
🚩श्री कृष्ण के पिता का नाम वसुदेव था इसलिए इन्हें आजीवन वासुदेव के नाम से जाना गया। श्री कृष्ण के दादा का नाम शूरसेन था
श्री कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के राजा कंस की जेल में हुआ था।
🚩श्री कृष्ण के भाई बलराम थे लेकिन उद्धव और अंगिरस उनके चचेरे भाई थे, अंगिरस ने बाद में तपस्या की थी और जैन धर्म के तीर्थंकर नेमिनाथ के नाम से विख्यात हुए थे।
🚩श्री कृष्ण ने 16000 राजकुमारियों को असम के राजा नरकासुर की कारागार से मुक्त कराया था और उन राजकुमारियों को आत्महत्या से रोकने के लिए मजबूरी में उनके सम्मान हेतु उनसे विवाह किया था। क्योंकि उस युग में हरण की हुयी स्त्री अछूत समझी जाती थी और समाज उन स्त्रियों को अपनाता नहीं था।।
🚩श्री कृष्ण की मूल पटरानी एक ही थी जिनका नाम रुक्मणी था।
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