दुनिया सौर ऊर्जा की तरफ सरपट दौड़ती हुई दिख रही है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण ने सभी को ऊर्जा के नए विकल्पों पर सोचने और उन्हें अपनाने के लिए विवश कर दिया है। इस कशमकश के बीच अपनी उपलब्धता, ईको-फ्रेंडली नेचर तथा भू-राजनीतिक कारणों से सौर ऊर्जा अधिकांश देशों और व्यक्तियों की पहली पसंद बनकर उभरी है। हालांकि सौर ऊर्जा को सहज और सस्ता बनाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय किया जाना बाकी है, लेकिन जिस तरह से इस क्षेत्र में रुचि पैदा हुई है, उससे यह निश्चित लग रहा है कि आने वाले दशकों में सूर्य की किरणें दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी बड़ी संख्या में लोगों को रोशनी देने लगेंगी। इसके लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न विकल्प आजमाए जा रहे हैं। सौर ऊर्जा प्राप्त करने के एक ऐसे ही अनूठे तरीके ने पूरी दुनिया का ध्यान हाल के दिनों में अपनी तरफ खींचा है। यह अनूठा तरीका है सोलर सड़कें। यूरोपीय देशों में सोलर सड़कों को लेकर काफी कार्य हो रहा है। सोलर सड़कों के पक्ष में जाने वाला सबसे खास तर्क यह है कि इसके लिए अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। के लिये अनूठी
फ्रांस में 1,000 किलोमीटर लंबी सड़कों को फोटोवोल्टिक प्लेटों से ढका जाएगा. अनुमान है कि इससे 50 लाख लोगों को बिजली मुहैया कराई जा सकती है. यह योजना अगले पांच साल में पूरी कर ली जाएगी.
हालैंड का पहला सोलर रास्ता |
यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है. हॉलैंड में साइकिलों के लिए 70 मीटर लंबा सोलर रास्ता बनाया जा रहा है. इस प्रयोग के नतीजे उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे आ रहे हैं. 70 मीटर का रास्ता 3,000 किलोवॉट बिजली पैदा कर रहा है. इससे एक छोटे घर की साल भर की जरूरत पूरी की जा सकती है.
पति-पत्नी स्कॉट और जूली ब्रूसॉ की टीम की महत्वपूर्ण खोज
पति-पत्नी स्कॉट और जूली ब्रूसॉ की टीम की महत्वपूर्ण खोज
वर्ष 2014 में सोलर रोडवेज ने इंटरनेट पर तब हंगामा मचा दिया, जब इसने इंडीगोगो क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिये 20 लाख डॉलर से भी अधिक एकत्र किए। सोलर रोडवेज हालांकि अभी शोध और विकास के शुरुआती स्तर पर ही है, लेकिन पति-पत्नी स्कॉट और जूली ब्रूसॉ की टीम की महत्वपूर्ण खोज ने उस परिदृश्य को ही बदल दिया है, जिसके तहत सबसे पुराने और बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर को दुनिया अब तक देखती आई है।
सह-संस्थापक स्कॉट ब्रूसॉ कहते हैं, ‘‘यह वास्तव में जूली का आइडिया था। हम दोनों ने अल गोर की ‘एन इनकॉनविनिएंट ट्रूथ’ देखी थी। उसके कुछ ही दिनों बाद जूली ने मुझे आइडिया दिया कि क्यों न हम सौर पैनल से सड़कों की सतह बनाएं। मैंने उसे बताया कि सौर पैनल नाजुक होते हैं, इसलिए उसके ऊपर से ड्राइविंग संभव नहीं। लेकिन मैं इस बारे में सोचता रहा, और एक सप्ताह के बाद मैंने उसे बताया कि अगर हम सौर पैनल को बचाने के लिए उस पर एक ढांचा तैयार करें, तो सौर सड़क बन सकती है। उसके बाद ही सौर सड़क का जन्म हुआ।’’
सौर पैनल वाली सड़कों की देख-रेख पारंपरिक सड़कों की तुलना में कम खर्च में ही संभव होगी। यही नहीं, इन सड़कों के साथ एक लाभ यह है कि सौर पैनल से मिली ऊर्जा के चलते ये अपनी लागत भी खुद निकाल लेंगी। ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के अतिरिक्त ये पैनल अतिरिक्त बिजली ग्रिड को सौंप सकेंगे, सड़कों पर गड्ढे अतीत की बात हो जाएंगे। रोशनी की दीपमाला से रात में ऐसी सड़कों पर ड्राइविंग बेहद सुरक्षित हो जाएगी, उत्तर की सड़कें ज्यादा सुरक्षित होंगी, क्योंकि सड़क की सतह पर बर्फ का जमाव नहीं होगा। हम बिजली से चलने वाले वाहनों को उनके चलते हुए ही चार्ज कर सकेंगे।’’
हो सकता है कि भविष्य में ये सड़कें ऊर्जा उत्पादन में बड़ी भूमिका निभाएं। हालांकि बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाले हाईवे पर सोलर पैनल लगाना बेकार होगा क्योंकि ट्रैफिक के चलते दिन भर छाया हावी रहेगी। लेकिन धूप भरे गांव के रास्तों या कम इस्तेमाल होने वाली सड़कों को सोलर रोड में बदला जा सकता है।
कैसे बनती है सोलर सड़क
फिलहाल इमारतों, पार्किंग और पार्कों में सोलर पैनल लगाए जाते हैं. सोलर सड़कों पर काम कर रही कंपनी सोलमूव के प्रमुख डोनल्ड मुलर-यूडेक्स के मुताबिक, "अगर हम सड़कों का इस्तेमाल करते हैं तो हमें प्राकृतिक इलाकों या मैदानों की जरूरत नहीं रहेगी."
यूरोपीय संघ में सड़कों की कुल लंबाई 1.05 करोड़ किलोमीटर है. हो सकता है कि भविष्य में ये सड़कें ऊर्जा उत्पादन में बड़ी भूमिका निभाएं. मुलर-यूडेक्स के मुताबिक सोलर सड़कें सोलर पार्क जितनी प्रभावी नहीं हो सकतीं. लेकिन हर वर्ग मीटर सोलर सड़क से प्रतिवर्ष 100 किलोवॉट बिजली हासिल की जा सकती है. अपनी गणना के आधार पर मुलर-यूडेक्स कहते हैं, "30 वर्ग मीटर सोलर रोड एक घर के लिए पर्याप्त है, इतनी बिजली से एक इलेक्ट्रिक कार को साल भर चार्ज किया जा सकता है. वो 11,000 किलोमीटर चलेगी."
कुछ विशेषज्ञ इस विचार से बहुत ज्यादा सहमत नहीं हैं. उनके मुताबिक सड़कों की खास बनावट होती है और सुरक्षा के लिहाज से इससे समझौता नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि सोलर सड़कें बनाने वाली कंपनियां इस तरह के जोखिमों से इनकार कर रही हैं. कंपनियों का कहना है कि सोलर सेल सुपरइम्पोज्ड तरीके से डाले जाते हैं ताकि सड़क पर टायर की पकड़ बनी रहे.
फिलहाल जर्मनी में एक वर्ग मीटर सोलर सड़क का खर्च करीब 200 यूरो बैठ रहा है. यह घर में सोलर पैनल लगाने से थोड़ा महंगा है पर मांग बढ़ी तो दाम कम होंगे. लेकिन दाम गिरने के बावजूद सोलर सड़क तारकोल की रोड के मुकाबले ज्यादा खर्चीली होगी.
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