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Tuesday, 9 February 2016

अत्यधिक चीनी सेवन के खतरे

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी के उपभोग में भारी कटौती होनी चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंग्लैंड में सरकार के सलाहकारों ने हाल ही में चीनी खाने की तय मात्रा को कम करने का प्रस्ताव दिया है। इस नई सलाह के मुताबिक़ एक व्यक्ति को मिलने वाली ऊर्जा का पाँच फीसदी ही चीनी से आना चाहिए। पहले इसकी तय सीमा 10 फीसदी रखी गई थी।
लेकिन बीएमसी जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक़ इसकी मात्रा तीन फीसदी से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कदम लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और दांतों की सड़न पर आने वाले खर्च के मद्देनज़र उठाया गया है। 
चीनी में कटौती की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसे कई सबूत सामने आए हैं कि लोग अभी पुराने 10 फ़ीसदी के मापदंड के हिसाब तक भी कटौती नहीं कर पा रहे हैं। जब तक सेहत पर मधुमेह या मोटापे का खतरा न हो, तब तक चीनी कम खाने की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। यूं चीनी से पूरी तरह दूरी बनाने की जरूरत नहीं है, पर उम्र बढ़ने के साथ डाइट में से धीरे-धीरे रिफाइंड चीनी कम करना सेहत के लिए बेहतर साबित होता है। 
सफेद चीनी को 'फूडलेस फूड' कहा जाता है। इसमें एम्प्टी कैलरी होती है, लेकिन विटामिन या मिनरल्स नहीं होते, जिससे सेहत के लिए इसका कोई खास फायदा नहीं होता। हम दिन भर में 1 कप चीनी खा जाते हैं. स्वास्थ्य के लिहाज से मीठा खाना हमारे शरीर के लिए कितना फायदेमंद और नुकसानदायक है, जानिए जरूर। एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर के लोग चीनी के कारण प्रतिदिन 500 कैलरी का अधिक सेवन करते हैं। जो लोग अधिक चीनी खाते हैं, उनमें हृदयरोग होने की आशंका छह गुणा बढ़ जाती है। विभिन्न शोधों में चीनी के सेवन और कोशिकाओं की उम्र बढ़ने में भी सीधा संबंध पाया गया है। अधिक मात्रा में चीनी खाने वालों में मस्तिष्क की कोशिकाएं जल्दी बूढ़ी हो जाती हैं। 
मोटापा और डायबिटीज होने पर चीनी का अधिक सेवन कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार कोकीन की तुलना में चीनी सात गुना अधिक व्यसनकारी है। जब यह लत लगती है तो चीनी और कार्बोहाइड्रेटयुक्त खाद्य पदार्थ खाने की तीव्र इच्छा होती है। जितनी अधिक चीनी खाते हैं, उतनी ही इसे खाने की इच्छा बढ़ जाती है। यदि स्वस्थ हैं तो नियमित व्यायाम के साथ सामान्य मात्रा में चीनी लेना नुकसान नहीं करता। 
एक सर्वे के अनुसार यह शकर अधिक नुकसानदेह इसलिए भी है कि जिन स्रोतों से यह प्राप्त हो रही है वे प्राकृतिक न हो कर अप्राकृतिक हैं. इसीलिए यह फायदा कम नुकसान ज्यादा करती है. जितनी शकर हम खाते हैं, उस का केवल एकचौथाई ही प्राकृतिक स्रोतों-फलों, सब्जियों और डेयरी उत्पादों से प्राप्त होता है. बाकी तीनचौथाई खाद्यपदार्थों को सुस्वाद बनाने के लिए उपयोग की गई कृत्रिम चीनी के रूप में लेते हैं. जैसे ठंडे पेय, आइसक्रीम, बिस्कुट, केक, मिठाई आदि.
क्या है चीनी 
चीनी कार्बोहाइड्रेट है, जो कई तरह की होती है। सामान्य शुगर मोनोसैक्कैराइड जैसे ग्लूकोज, फ्रक्टोज व गैलेक्टोज है। डाईसैक्कैराइड जैसे सूक्रोज, माल्टोज व लैक्टोज की संरचना जटिल है। 
ग्लूकोज: प्राकृतिक रूप से पौधों व फलों में पाया जाता है। हमारे शरीर में ग्लूकोज परिवर्तित होकर ऊर्जा में बदल जाता है। 
फ्रक्टोज : इसे फ्रूट शुगर भी कहा जाता है। यह प्राकृतिक रूप से फलों में पाया जाता है। गन्ने और शहद में भी होता है। 
सूक्रोज: यह गन्ने के तने और चुकंदर की जड़ों में पाया जाता है। कुछ फलों और पौधों में यह ग्लूकोज के साथ होता है। 
लैक्टोज: इसे मिल्क शुगर भी कहते हैं। यह दूध और दूध उत्पादों में पाया जाता है। 
क्यों हानिकारक होती है सफेद चीनी
सफेद चीनी को रिफाइंड शुगर भी कहते हैं। चीनी रिफाइन करने के लिए सल्फर डाईऑक्साइड, फॉस्फोरिक एसिड, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड और एक्टिवेटेड कार्बन का उपयोग किया जाता है। रिफाइनिंग के बाद इसमें मौजूद विटामिन, मिनरल, प्रोटीन व एंजाइम्स नष्ट हो जाते हैं, केवल सूक्रोज बचता है। अधिक सूक्रोज शरीर को नुकसान पहुंचाता है। 
'चीनी की अधिकता के कारण मेटाबॉलिज्म से जुड़े रोग जैसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन रेजिस्टेंस और हाई ब्लड प्रेशर होते हैं। 
चीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट व शरीर के हिस्से पर वसा एकत्रित हो जाती है, जिससे मोटापा, दांतों के सड़ने, डायबिटीज और इम्यून सिस्टम कमजोर होने जैसी समस्याएं होती हैं। 
चीनी का अधिक सेवन अधिक कैल्शियम सोखता है, जिससे बालों, हड्डियों, खून व दांतों पर असर पड़ता है। 
अधिक चीनी पाचन तंत्र को भी प्रभावित करती है। 
चीनी के अधिक सेवन से शरीर में विटामिन बी की कमी हो जाती है। तंत्रिका तंत्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 
चीनी की अधिक मात्रा इंसुलिन के स्तर को बढ़ा देती है, जिससे कैंसरग्रस्त ट्यूमर के विकास की आशंका बढ़ती है। 
रिफाइंड चीनी से मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं होती हैं, जिससे 'सेरेटोनिन' हार्मोन का स्राव होता है, जो कुछ देर तो अच्छा महसूस कराता है, पर जल्द ही व्यक्ति को थकान, चिड़चिड़ेपन और अवसाद का एहसास होने लगता है। 
चीनी का कितनी मात्रा में सेवन करें
अगर युवा हैं, पूर्णतया स्वस्थ हैं, नियमित रूप से दांत साफ करते हैं, तो कितनी मात्रा में चीनी बिना किसी जोखिम के ले सकते हैं? यह प्रश्न सभी के दिमाग में उठता है. हालांकि ऐसा कोई सर्वसम्मत आधार नहीं है, फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन 1,600 कैलोरी युक्त आहार लेने वाले व्यक्ति को 24 ग्राम से अधिक अतिरिक्त चीनी नहीं लेनी चाहिए. अतिरिक्त चीनी का मतलब यह कि फलों सब्जियों और डेयरी उत्पादों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शकर की मात्रा के अलावा चीनी. प्रतिदिन 2,200 कैलोरी युक्त आहार लेने वाला व्यक्ति 48 ग्राम तक अतिरिक्त चीनी ले सकता है.
एक अन्य मत यह है कि आहार की कुल कैलोरी का 25% शकर ली जा सकती है. लेकिन इस 25% में अतिरिक्त चीनी की मात्रा आधी से कम होनी चाहिए. इस के अनुसार 1,600 कैलोरी का आहार लेने वाला व्यक्ति 48 ग्राम व 2,200 कैलोरी वाला 66 ग्राम ले सकता है. इस मत का यह भी कहना है कि मीठी चीजें अधिक फैट वाली नहीं होनी चाहिए और उन में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा भी अधिक नहीं होनी चाहिए. इतनी मात्रा में चीनी लेने वालों को बहुत मीठे व अधिक फैट वाले खाद्यपदार्थोंसे दूर ही रहना चाहिए. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कम से कम व अधिक से अधिक कितनी मात्रा में शकर का सेवन इनसान के लिए हितकर होगा, यह दावे के साथ कहना कठिन है, क्योंकि यह उस के संपूर्ण आहार और दिनचर्या पर निर्भर करता है यानी वह दिन भर में कितनी भागदौड़ करता है. 
जरूरत से ज्यादा चीनी लेने के खतरे
जरूरत से ज्यादा चीनी के सेवन से वजन बढ़ सकता है क्योंकि चीनी में कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है. इस से भी ज्यादा खतरे की बात यह है कि अधिक मीठे खाद्यपदार्थों में फैट अधिक होता है, जिस से कैलोरी और बढ़ जाती है.
चीनी में न तो कोई विटामिन या खनिज गुण है और न ही पोषक तत्त्व. सिर्फ ऊर्जा व शक्ति मिलती है, वह भी 1 ग्राम चीनी में 4 कैलोरी की दर से. इस तरह अधिक मिठाई, ठंडे पेय, बिस्कुट और केक लेने से आहार का संतुलन बिगड़ जाता है और उस की पौष्टिकता खत्म हो जाती है.
अत्यधिक चीनी का  लत न बन जाए
जिन्हें मीठा खाने की आदत होती है धीरेधीरे वे मीठे के इतने आदी हो जाते हैं कि कम मीठी कोई भी चीज उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाती है. मीठा उन की कमजोरी बन जाता है. थोड़ा खाने से तसल्ली नहीं होती और खाने की हमेशा इच्छा बनी रहती है.
चीनी के विकल्प
आप जितनी कम चीनी खाएंगे, उतने ही स्वस्थ रहेंगे। मधुमेह पीडि़तों को चीनी का कम सेवन करना चाहिए। प्राकृतिक मिठास जैसे फल, अंजीर का सेवन करें। स्वस्थ लोग चीनी की बजाय गुड़, शहद, खजूर व फलों का सेवन करें। इससे चीनी की तुलना में खून में शुगर का स्तर कम तेजी से बढ़ता है। शहद चीनी का बेहतर व पोषक विकल्प है। 
चीनी के कृत्रिम विकल्पों में स्टेविया, एस्पारटेम और सूक्रालोज प्रमुख हैं। स्टेविया सामान्य चीनी से 300 गुना अधिक मीठी है, पर इसके सेवन से खून में शर्करा का स्तर अधिक नहीं बढ़ता। सूक्रालोज चीनी से 600 गुना अधिक मीठा होता है। यह फ्रोजन दही और च्यूइंगम में डाला जाता है। ये सभी स्वीटनर कृत्रिम रूप से तैयार किए जाते हैं, इसलिए इनके नुकसान भी हैं।
फ्री शुगर से बचें : छह चम्मच का मतलब है करीब 25 ग्राम चीनी। ध्यान देने लायक बात यह है कि अगर आप शहद ले रहे हैं या फिर फलों का रस पी रहे हैं, तो उसमें मौजूद मीठे की मात्रा को गिनना भी जरूरी है। इसे फ्री शुगर कहा जाता है। फ्री शुगर में मोनोसैक्राइड और डायसैक्राइड मौजूद होते हैं। पैक्ड फूड में भी इन्हें मिलाया जाता है। जैम और टोमैटो केचप जैसी चीजों में भी इनका इस्तेमाल होता है।
फ्री शुगर के अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ सकता है और मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी कई बीमारियां भी हो सकती हैं। इन बीमारियों के कारण हर साल दुनिया भर में कम से कम 3।6 करोड़ लोगों की जान जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'इस बात को ले कर चिंता बढ़ रही है कि फ्री शुगर के सेवन से कुल कैलोरी बढ़ जाती है और लोग सही मात्रा में स्वस्थ आहार नहीं ले पाते हैं।' रिपोर्ट में कोल्ड ड्रिंक को ले कर सबसे ज्यादा चिंता जताई गयी है।
दांतों में सड़न 
दांतों की सड़न की जिम्मेदार चीनी ही होती है, क्योंकि दांतों के कीटाणु मीठे पर ही आश्रित होते हैं. ये कीटाणु ऐसा ऐसिड छोड़ते हैं, जिस से दांतों में कीड़ा लग जाता है व दांत खोखले हो जाते हैं. लेकिन दांतों के संक्रमण के लिए केवल मीठी चीजें ही दोषी नहीं होती हैं. कोई भी कार्बोहाइड्रेट रोटी या अन्य खाद्यपदार्थ भी उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं जितना चीनी. चिपकने वाली मिठाई के सेवन से बचना चाहिए. धीरेधीरे घुलने वाली गोलियां, टौफियां, जो दांतों के बीच फंस जाती हैं, से भी परहेज करना ही ठीक है. सोने से पहले नियमित ब्रश करने से इस नुकसान से बचा जा सकता है.
जो मधुमेह के रोगी नहीं हैं, उन्हें चीनी खाने से मधुमेह रोग नहीं होता है. पहले डाक्टरों का सोचना था कि अगर मधुमेह का रोगी चीनी का सेवन करेगा, तो उस के खून में ग्लूकोज की मात्रा पर वही प्रभाव पड़ेगा, जो रोटीचावल या आलू खाने से पड़ता है. मगर अमेरिकन मधुमेह ऐसोसिएशन मधुमेह के रोगियों को नियंत्रित रूप से चीनी सेवन की छूट देती है. वह आश्वस्त करती है कि सामान्य व्यक्ति चीनी के सेवन से मधुमेह का रोगी नहीं हो सकता.
केवल चीनी को दोषी ठहराना ठीक नहीं
योनि, आंतों व खून में बनने वाला फेन शकर से ही बनता है. लेकिन जरूरत से ज्यादा चीनी के सेवन से यह नियंत्रण के बाहर हो जाता है. नतीजा, मोटापा व योनि क्षेत्र में खुजली व संक्रमण हो जाता है. ध्यान रहे, चीनी से आंतों या योनि में तब तक संक्रमण नहीं हो सकता जब तक आप को स्वास्थ्य संबंधी कोई और व्याधि न हो.
शकर से हृदयरोग भी नहीं होता
आवश्यक मात्रा में शकर लेने से हृदयरोग नहीं होता है. हां, अधिक कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट्स वाला आहार लेने से वजन बढ़ता है, जिस से हृदयरोग का खतरा बढ़ जाता है.
कोई भी शोध आज तक यह प्रमाणित नहीं कर पाया है कि चीनी खाने से बच्चों में कोई मानसिक विकृति होती है.
धूम्रपान से भी हानिकारक : ब्रांका से जब पूछा गया कि क्या वे चीनी के सेवन की तुलना तंबाकू सेवन से करेंगे तो उन्होंने कहा कि अगर लोगों के स्वास्थ्य पर हो रहे खतरे को देखा जाए तो वसा, नमक, कसरत ना करना और चीनी लेना धूम्रपान करने से भी ज्यादा हानिकारिक साबित हो सकता है। ब्रांका ने कहा कि रिपोर्ट में वयस्कों पर ध्यान दिया गया है लेकिन यह जरूरी है कि बच्चों में भी चीनी और चीनी मिली चीजों के सेवन पर ध्यान दिया जाए, 'इस दिशा में कदम उठाने की सबसे ज्यादा जरूरत है।'
कैसे करें भोजन में चीनी की मात्रा कम 
कोल्ड व सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन न करें। इनमें पोषकता कम और चीनी व कैलरी अधिक होती है। पानी पिएं। डिब्बाबंद फू्रट जूस में भी चीनी की मात्रा अधिक होती है। फाइबर बिल्कुल नहीं होता। ताजे फल खाएं। 
मिठाई और चॉकलेट्स का सेवन कम करें। बेकरी उत्पादों जैसे केक, कुकीज का सेवन न करें। इनमें चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। 
सोडा या जूस के स्थान पर पानी पिएं।
कॉफी या चाय में चीनी न लें या कम मात्रा में लें। 
7—8 घंटे की नींद लें। जितने अधिक थके हुए होंगे, उतना ही चीनी अधिक खाने की इच्छा होगी। 
शुरुआत में चीनी कम करने पर कुछ दिन सिरदर्द, थकान और आलस का अनुभव होता है, लेकिन एक सप्ताह बाद आदत छूट जाती है। चीनी का सेवन धीरे-धीरे कम करें। 
 चीनी की कितनी मात्रा 
हालांकि चीनी की मात्रा का कितना सेवन आदर्श है, यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन जिन्हें मोटापे की शिकायत है, उन्हें सामान्य से कम सेवन करना चाहिए। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार, जिन्हें डायबिटीज नहीं है, वह अधिकतम इतनी चीनी ले सकते हैं। 
पुरूष: 150 कैलरी प्रतिदिन (37.5 ग्राम या 9 चम्मच)।
महिलाएं: 100 कैलरी प्रतिदिन (25 ग्राम या 6 चम्मच)।
चीनी से बढ़ता है मोटापा! 
अधिक चीनी सेहत को नुकसान पहुंचाती है, पर डरने की बात नहीं है। कई मिथक भी हैं, आइये जानें... 
मिथक: चीनी मोटापा बढ़ाने वाली होती है। 
तथ्य : एक ग्राम चीनी में 4 कैलरी होती है, जबकि एक ग्राम वसा में 9 कैलरी होती है। चीनी की तुलना में वसा अधिक मोटापा बढ़ाती है। अगर चीनी संतुलित मात्रा में खाई जाए तो शरीर इसे आसानी से पचा लेता है। हां, अगर आप अधिक चिकनाईयुक्त वसा पदार्थ जैसे केक, पेस्ट्रीज व कुकीज आदि अधिक खाते हैं तो ये मोटापा बढ़ा सकते हैं। 
मिथक: चीनी से सड़ते हैं दांत 
तथ्य: चीनी जब दांतों के इनेमल के संपर्क में आती है तो उसे सड़ाती है। उच्च कार्बोहाइड्रेटयुक्त मीठे पदार्थ दांतों पर अधिक चिपकते हैं। अधिक एसिड वाले ड्रिंक्स भी दांतों के इनेमल को खराब करते हैं। इसलिए जरूरी है कि खाने के बाद कुल्ला करें। सोने से पहले फ्लोराइडयुक्त पेस्ट से ब्रश करें। 
मिथक: चीनी खाने से होती है डायबिटीज 
तथ्य: इसका उत्तर इतना आसान नहीं है। टाइप 1 डायबिटीज आनुवंशिक और दूसरे कई कारणों से होती है। टाइप 2 डायबिटीज, जीवनशैली से जुड़े कारकों से होती है। अधिक मोटे लोगों में मधुमेह होने की आशंका अधिक होती है। उच्च कैलरीयुक्त डाइट से भी मोटापा बढ़ता है। कई शोध शुगरयुक्त ड्रिंक्स और टाइप 2 डायबिटीज में सीधा संबंध बताते हैं। 
मिथक: केवल सफेद चीनी ही हानिकारक है, गुड़ और ब्राउन शुगर नहीं। 
तथ्य : सफेद चीनी में 99.96 % सूक्रोज होता है। ब्राउन शूगर भी आंशिक रूप से रिफाइंड ही होती है। इसमें सूक्रोज की मात्रा 97% तक होती है। गुड़ को चीनी का एक स्वस्थ विकल्प माना जा सकता है। इसमें रसायन अधिक नहीं होते। मिनरल व पोषक तत्व भी होते हैं। 
मिथक: शुगर फ्री प्रोडक्ट हैं लाभदायक
तथ्य: ऐसा नहीं है। शुगर फ्री प्रोडक्ट्स भी खतरनाक हो सकते हैं। अमेरिका में हुए शोध के अनुसार डाइट कोला पीने से मोटापे, डायबिटीज और हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है। डाइट सोडा पीने वालों में इसे न पीने वालों की तुलना में मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की आशंका दुगनी होती है।


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