एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा...
वही उस
सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.
जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.
कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.
क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.
पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते
को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई .
कुत्ता तेजी से दौडने लगा. पर थोडा
ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया. और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास
पहुंचा..
तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर
विराजमान है.
तो क्या...!
गधा
उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था... ?
और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !
और ये देखकर निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..
अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता
तो आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता ...
१. अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो.
२. अपनों को आगे बढने का मौका दो, उन्हें मदद करो.
३. नही तो कल बाहरी गधे हम पर राज करने लगेंगे.
४. पक्का विचार और आत्म परीक्षण करो.
No comments:
Post a Comment