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Sunday, 6 March 2016

पुरी में जगन्नाथ मंदिर के 10 आश्चर्य

।।ॐ नमोः नारायणाय। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।
पुरी में जगन्नाथ मंदिर के 10  आश्चर्य इस प्रकार है। 

1.मन्दिर के ऊपर झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराते हुए। ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्‍चित ही आश्चर्यजनक बात है। 
2.पुरी में किसी भी जगह से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेगे तो वह आपको सामने ही लगा दिखेगा। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है। 
3.सामान्य दिन के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पूरी में इसका उल्टा होता है. 
4.पक्षी या विमानों मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें। मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नजर नहीं आते, जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबदों पर पक्षी बैठ जाते हैं या आसपास उड़ते हुए नजर आते हैं।
5.मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य है. 
6.मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी यह व्यर्थ नहीं जाएगी, चाहे कुछ हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं. 
7. मंदिर में रसोई (प्रसाद)पकाने के लिए 7 बर्तन एक दूसरे पर रखा जाता है और लकड़ी पर पकाया जाता है.  सबसे ऊपर का खाना सबसे पहले पकता है। फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकते जाती है। कहा जाता है कि देवी सुभद्रा इसे पका देती हैं, जिसे प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है। 

8.मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते. आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं. इसे शाम को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 
9 . यहां प्रत्येक 12 साल में एक बार होता है प्रतिमा का नव कलेवर। मूर्तियां नई जरूर बनाई जाती हैं लेकिन आकार और रूप वही रहता है। कहा जाता है कि उन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, केवल दर्शनार्थ रखी गई हैं।
10 . हनुमानजी करते हैं जगन्नाथ की समुद्र से रक्षा 

साथ में यह भी जाने:-

मंदिर में तीन देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग अलग भव्य और सुसज्जित मूर्तियां स्थापित है।

मन्दिर का रसोई घर दुनिया का सबसे बड़ा रसोइ घर है। 

प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर लगी ध्वजा को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है। 
मंदिर का वृहत क्षेत्र 4,00,000 वर्ग फ़ुट (37,000 मी2) में फैला है
मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट (65 मी) है। 
विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद को बनाने 500 रसोईये एवं 300 उनके सहयोगी काम करते है। 


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