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Sunday, 17 January 2016

हनुमान चालीसा का लाभ #Benefits of #Hanuman #Chalisa)


हिन्दू धर्म में हनुमान जी को साहस, शक्ति, वफादारी तथा निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है। महाकाव्य रामायण में हनुमान जी को भगवान राम जी का सबसे बड़ा भक्त बताया गया है। इनकी नित दिन आराधना करने से मनोवांछित वरदान प्राप्त होता है। शिवजी के रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी को बजरंग बली, पवनपुत्र, मारुती नंदन, केसरी आदि नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं।
हनुमान जी का मंत्र (Mantra's of Hanuman Ji)
मान्यता है कि 'ॐ श्री हनुमते नम:॥' का जाप करने से भक्तिभाव, सकारात्मक सोच, शक्ति की बढ़ोत्तरी होती है।
हनुमान चालीसा का लाभ (Benefits of Hanuman Chalisa)
हनुमान जी को प्रतिदिन याद करने और उनके मंत्र जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर होते हैं। शनि साढ़ेसाती या महादशा से पीड़ित जातकों के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभदायक माना जाता है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष हो उनके लिए भी हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायक समझा जाता है। हनुमान चालीसा में कहा गया है कि हनुमान जी अष्टसिद्घि और नवनिधि के दाता कहा गया। जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है। उसकी हर मनोकामना हनुमान जी पूरी करते हैं चाहे वह धन संबंधी इच्छा ही क्यों न हो।  इस बात का ध्यान रखें कि पाठ किसी दिन छोड़ें नहीं। अगर यह क्रम मंगलवार से शुरू करें तो बेहतर रहेगा।ऐसी मान्यता है कि, कलियुग में एक मात्र हनुमान जी ही जीवित देवता हैं। यह अपने भक्तों और आराधकों पर सदैव कृपालु रहते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं हनुमान जी की कृपा से ही तुलसीदास जी को भगवान राम के दर्शन हुए थे। शिवाजी महाराज के गुरू समर्थ रामदास के बारे में भी कहा जाता है कि उन्हें हनुमान जी ने दर्शन दिए थे। हनुमान जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि जहां कहीं भी रामकथा होती है हनुमान जी वहां किसी न किसी रूप में जरूर मौजूद रहते हैं। हनुमान चालीसा का एक दोहा है 'भूत पिशाच निकट नहीं आए, महावीर जब नाम सुनावे। इस दोहे से बताया गया है कि जो व्यक्ति नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके आस-पास भूत-पिशाच और दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं।
अगर किसी को कोई अनजाना भय डरा रहा हो तो उसे हर रात सोने से पहले हाथ पैर धोकर पवित्र मन से हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर देना चाहिए। नींद अच्छी तरह नहीं आने का एक बड़ा कारण मानसिक अशांति है। हनुमान चालीसा के पाठ से मानसिक शांति मिलती है  और जीवन में उन्नति का मौका मिलता है। इनके ध्यान से पुरूष बलवान और वीर्यवान होता है। जो लोग अक्सर बीमार रहते हैं या काफी उपचार के बाद भी जिनका रोग दूर नहीं होता उन्हें नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
हनुमान चालीसा में लिखा भी गया है" नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।''आपने देखा होगा कि मंगलवार के दिन छात्र बड़ी संख्या में हनुमान जी के मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इसका कारण यह है कि हनुमान जी की जिनपर कृपा होती है वह बुद्घिमान, गुणी और चातुर यानी अक्लमंद हो जाते हैं।
 हनुमान जी स्वयं हैं 'विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।' जो इनकी भक्ति सहित हनुमान चालीसा का पाठ करता है उनमें भी हनुमान जी यह गुण भर देते हैं।मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य माना गया है मुक्ति यानी शरीर त्याग के बाद परमधाम में स्थान। हनुमान चालीसा में बताया गया है 'अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि–भक्त कहाई।। और देवता चित्त न धरई। हनुमत् सेई सर्व सुख करई।।
श्री हनुमान चालीसा

।।दोहा।।
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार |
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि |

बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ||

।।चौपाई।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर |
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||2||

महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||4|

हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||6|

विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||8||

सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||10||

लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये |
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||12||

सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ||14||

जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ||16||

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना |
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु ||18|

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं |
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||20||

राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना ||22||

आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे |
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें ||24||

नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें ||26||

सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे ||28||

चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा |
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे ||30||

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ||32||

तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें |
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||34||

और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई |
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||36||

जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं |
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई ||38||

जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||40||

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