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Monday 29 February 2016

श्रीकृष्ण जी के अलग अलग नाम

श्रीकृष्ण जी के संबंघ में रोचक जानकारी-----
श्री कृष्ण को अलग अलग स्थानों में अलग अलग नामो से जाना जाता है।
प्रदेश में कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामो से जानते है।
🚩राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से जानते है।

🚩महाराष्ट्र में बिट्ठल के नाम से भगवान् जाने जाते है।







🚩उड़ीसा में जगन्नाथ के नाम से जाने जाते है।

🚩बंगाल में गोपालजी के नाम से जाने जाते है।







🚩दक्षिण भारत में वेंकटेश या गोविंदा के नाम से जाने जाते है।











🚩गुजरात में द्वारिकाधीश के नाम से जाने जाते है।

🚩असम,त्रिपुरा,नेपाल इत्यादि पूर्वोत्तर क्षेत्रो में कृष्ण नाम से ही पूजा होती है।
🚩मलेसिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस इत्यादि देशो में कृष्ण नाम ही विख्यात है।
🚩गोविन्द या गोपाल में गो शब्द का अर्थ गाय एवं इन्द्रियों, दोनों से है। गो एक संस्कृत शब्द है और ऋग्वेद में गो का अर्थ होता है मनुष्य की इंद्रिया जो इन्द्रियों का विजेता हो जिसके वश में इंद्रिया हो वही गोविंद है गोपाल है।
🚩श्री कृष्ण के पिता का नाम वसुदेव था इसलिए इन्हें आजीवन वासुदेव के नाम से जाना गया। श्री कृष्ण के दादा का नाम शूरसेन था
श्री कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के राजा कंस की जेल में हुआ था।
🚩श्री कृष्ण के भाई बलराम थे लेकिन उद्धव और अंगिरस उनके चचेरे भाई थे, अंगिरस ने बाद में तपस्या की थी और जैन धर्म के तीर्थंकर नेमिनाथ के नाम से विख्यात हुए थे।
🚩श्री कृष्ण ने 16000 राजकुमारियों को असम के राजा नरकासुर की कारागार से मुक्त कराया था और उन राजकुमारियों को आत्महत्या से रोकने के लिए मजबूरी में उनके सम्मान हेतु उनसे विवाह किया था। क्योंकि उस युग में हरण की हुयी स्त्री अछूत समझी जाती थी और समाज उन स्त्रियों को अपनाता नहीं था।।

ईश्वरीय सत्ता-प्रेरक प्रसंग

वार्षिकोत्सव की तैयारी के लिये मंदिर का जीर्णोद्धार होने लगा तब कबूतरों को मंदिर छोड़कर पास के चर्च में जाना पड़ा। चर्च के ऊपर रहने वाले कबूतर भी नये कबूतरों के साथ राजीखुशी रहने लगे। क्रिसमस नज़दीक था तो चर्च का भी रंगरोगन शुरू हो गया। अत: सभी कबूतरों को जाना पड़ा नये ठिकाने की तलाश में।
किस्मत से पास के एक मस्जिद में उन्हे जगह मिल गयी और मस्जिद में रहने वाले कबूतरों ने उनका खुशी-खुशी स्वागत किया। रमज़ान का समय था मस्जिद की साफसफाई भी शुरू हो गयी तो सभी कबूतर वापस उसी प्राचीन मंदिर की छत पर आ गये।
एक दिन मंदिर की छत पर बैठे कबूतरों ने देखा कि नीचे चौक में धार्मिक उन्माद एवं दंगे हो गये।
छोटे से कबूतर ने अपनी माँ से पूछा " माँ ये कौन लोग हैं ?"माँ ने कहा " ये मनुष्य हैं"। छोटे कबूतर ने कहा " माँ ये लोग आपस में लड़ क्यों रहे हैं ?" माँ ने कहा " जो मनुष्य मंदिर जाते हैं वो हिन्दू कहलाते हैं, चर्च जाने वाले ईसाई और मस्जिद जाने वाले मनुष्य मुस्लिम कहलाते हैं।" छोटा कबूतर बोला " माँ एसा क्यों ? जब हम मंदिर में थे तब हम कबूतर कहलाते थे, चर्च में गये तब भी कबूतर कहलाते थे और
जब मस्जिद में गये तब भी कबूतर कहलाते थे, इसी तरह यह लोग भी केवल मनुष्य ही कहलाने चाहिये ......चाहे कहीं भी जायें।"
माँ बोली " मेनें, तुमने और हमारे साथी कबूतरों ने उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव किया है इसलिये हम इतनी ऊंचाई पर शांतिपूर्वक रहते हैं।
इन लोगों को उस एक ईश्वरीय सत्ता का अनुभव होना बाकी है , इसलिये यह लोग हमसे नीचे रहते हैं और आपस में दंगे फसाद करते हैं।"
बात छोटी सी है, पर मनन करने योग्य है। 

सफल जीवन-लघु कथा


एक बेटे ने पिता से पूछा - पापा ये 'सफल जीवन' क्या होता है ? पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए। बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था... थोड़ी देर बाद बेटा बोला, पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !! ये और ऊपर चली जाएगी... पिता ने धागा तोड़ दिया ..पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया .,,,,
बेटा..
'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं जैसे :
घर,
परिवार,
अनुशासन,
माता-पिता,गुरू आदि
और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...
वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ...'"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.."
" धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई
ऊंचाई को ही 'सफल जीवन' कहते हैं " ! ! !
आप  का दिन मंगलमय हो

🌾💐

शहद की बूंदें सांसारिक सुख

प्रेरक प्रसंग
एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था। शाम हो गई थी। अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं और जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे। इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा। वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा। उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था। हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं।
एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी।
उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी। अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया। तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे।
पार्वती ने शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा-मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो। उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार। आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए।

 जिस जंगल में जा रहा था, 
 जंगल है दुनिया और है अज्ञान -पेड़ की डाली है 
- आयु 
दिन-रात रूपी चूहे उसे कुतर रहे हैं।
घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है। 
 शहद की बूंदें सांसारिक
सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य 
खतरे
को भी अनदेखा कर देता है.....। 
सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते......।
राधे राधे।

श्रीबांके बिहारी जी


।। वृन्दावन बिहारी लाल की जय ।।

बहुत समय पहले की बात है वृन्दावन में श्रीबांके बिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवा करते थे। वे रोज बिहारी जी की आरती करते , भोग लगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार लड्डू भगवान के बिस्तर के पास रख देते थे। उनका यह भाव था कि बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठ कर खा लेंगे। और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था। इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थे।
एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चलेगए। रात में करीब एक-दो बजे , जिस दुकान से वे बूंदी के लड्डू आते थे , उन बाबा की दुकान खुली थी। वे घर जाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया और बोला बाबा मुझे बूंदी के लड्डू चाहिए। बाबा ने कहा - लाला लड्डू तो सारे ख़त्म हो गए। अब तो मैं दुकान बंद करने जा रहा हूँ। वह बोला आप अंदर जाकर देखो आपके पास चार लड्डू रखे हैं। उसके हठ करने पर बाबा ने अंदर जाकर देखा तो उन्हें चार लड्डू मिल गए क्यों कि वे आज मंदिर नहीं गए थे। बाबा ने कहा - पैसे दो।
बालक ने कहा - मेरे पास पैसे तो नहीं हैं और तुरंत अपने हाथ से सोने का कंगन उतारा और बाबा को देने लगे। तो बाबा ने कहा - लाला पैसे नहीं हैं तो रहने दो कल अपने बाबा से कह देना , मैं उनसे ले लूँगा। पर वह बालक नहीं माना और कंगन दुकान में फैंक कर भाग गया। 


सुबह जब पुजारी जी ने पट खोला तो उन्होंने देखा कि बिहारी जी के हाथ में कंगन नहीं है। यदि चोर भी चुराता तो केवल कंगन ही क्यों चुराता। थोड़ी देर बाद ये बात सारे मंदिर में फ़ैल गई। जब उस दुकान वाले को पता चला तो उसे रात की बात याद आई। उसने अपनी दुकान में कंगन ढूंढा और पुजारी जी को दिखाया और सारी बात सुनाई। तब पुजारी जी को याद आया कि रात में , मैं लड्डू रखना ही भूल गया था। इसलिए बिहारी जी स्वयं लड्डू लेने गए थे।

 भक्ति में भक्त कोई सेवा भूल भी जाता है तो  भगवान अपनी तरफ से पूरा कर लेते हैं।
शुभ-दिवस
राधे-राधे.
मांगी थी इक कली उतार कर हार दे दिया
चाही थी एक धुन अपना सितार दे दिया
झोली बहुत ही छोटी थी मेरी "कृष्णा"
तुमने तो कन्हैया हंस कर सारा संसार दे दिया
"""""""जय जय श्री राधे कृष्णा"""""

मिञता में संदेह नहीं

 ।। मिञता में संदेह नहीं ।
एक फकीर बहुत दिनों तक बादशाह के साथ रहा बादशाह का बहुत प्रेम उस फकीर पर हो गया। प्रेम भी इतना कि बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में सुलाता। कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही करते।
एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए। भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक ही फल लगा था। बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को अपने हाथ से तोड़ा। बादशाह ने फल के छह टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा फकीर को दिया।
फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला, 'बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया। एक टुकड़ा और दे दें। दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल गया। फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग लिया। इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए।
जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने कहा, 'यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा हूं।
मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते।' और सम्राट ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया।
मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था।
राजा बोला,'तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए?
उस फकीर का उत्तर था,
'जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं? सब टुकड़े इसलिए
लेता गया ताकि आपको पता न चले।





दोस्तों जँहा मित्रता हो वँहा संदेह न हो, आओ
कुछ ऐसे रिश्ते रचे...कुछ हमसे सीखें , कुछ हमे सिखाएं..

Sunday 28 February 2016

How to lower your #blood-pressure #naturally


Too much stress can be fatal. Your emotions, particularly #anger and #grief, are hidden causes for high blood pressure.Hundreds of studies have confirmed that practicing the mind-body activities of #yoga, #T’aiChi, and transcendental #meditation effectively helps to reduce your blood pressure naturally and lower stress. 
In today's fast-paced world filled with increasing demands, it's important to manage your stress level. Some people cope with stress by overeating or eating unhealthy #foods, #smoking, #drinking and other activities that raise their risk for #heartattack, #stroke and high blood pressure.

What are the warning signs of stress?
When you are exposed to long periods of stress, your body gives warning signs that something is wrong. These physical, mental, emotional and behavioural signs of stress should not be ignored. They tell you that you need to slow down. If you continue to be stressed and you don’t give your body a break, you are likely to develop health problems. You could also aggravate an existing illness.

Below are some common warning signs of stress.

Physical signs 
Dizziness, general aches and pains, grinding teeth, clenched jaws,headaches, indigestion, muscle tension, difficulty sleeping, racingheart, ringing in the ears, stooped posture, sweaty palms,tiredness, exhaustion, trembling, weight gain or loss, upset stomach.

Mental signs 
Constant worry, difficulty making decisions, forgetfulness, inability to concentrate, lack of creativity, loss of sense of humour.

Emotional signs 
Anger, anxiety, crying, depression, feeling powerless, frequent mood swings, irritability, loneliness, negative thinking, nervousness, sadness.

Behavioural signs 
Bossiness, compulsive eating, critical of others, explosive actions, frequent job changes, impulsive actions, increased use of alcohol or drugs, withdrawal from relationships or social situations

Hypertension is one of the most common diseases prevalent in India and around the world.

According to a study published in the Journal of Hypertension, 33 per cent urban and 25 per cent rural population of Indian suffers from hypertension. Of these, 25 per cent rural and 42 per cent urban Indians are aware that they are hypertensive.
Stress definitely affects our bodies. In addition to the emotional discomfort we feel when faced with a stressful situation, our bodies react by releasing stress hormones (adrenaline and cortisol) into the blood. These hormones prepare the body for the "fight or flight response" by making the heart beat faster and constricting blood vessels to get more blood to the core of the body instead of the extremities. Constriction of blood vessels and increase in heart rate does raise blood pressure, but only temporarily; when the stress reaction goes away, blood pressure returns to its pre-stress level. This is called situational stress, and its effects are generally short-lived and disappear when the stressful event is over.

There is no proof that stress alone causes high blood pressure but habitual behaviour to cope with stress such as drinking alcohol and poor sleeping habits can results in high blood pressure.

High blood pressure risks increase over the long term
Temporary spikes in blood pressure can damage your blood vessels, heart and kidneys over time.Studies also link stress to changes in the way blood clots, which makes a heart attack more likely.

What can I do to reduce stress?
Although stress does not clearly cause heart disease, it can play a role in general wellness. Learning new lifestyle habits sometimes requires clearing out the mental clutter. When you can turn down the stress response, you can tune in to good health.When it comes to preventing and treating high blood pressure, one often-overlooked strategy is managing stress. If you often find yourself tense and on-edge, try these seven strategies to reduce stress

Simplify your schedule
With work, you social life and family responsibilities, you need to schedule some time for yourself.
By simplifying your schedule, you can stay organised and give you more time to pursue activities that make your happy.
Breathe to relax
Every time you feel stressed out, take a deep breath and count to five. This will calm your nerves and help you focus on the task at hand.
Exercise
Exercise is a natural stress leaver. It helps your brain produce endorphins that can elevate your mood.
Yoga and meditation
Yoga and meditation clears your mind and puts you in a deep state of relaxation. This will lower your blood pressure.
Plenty of sleep
Stress affects your quality of sleep, making it difficult to fall asleep and to stay asleep. This can causes insomnia and in turn cause more stress.
Focus on finding solutions
Instead of complaining about the problem, work towards solving that problem.
This will involve identifying the problem, brainstorming and eventually selecting a solution.
Time management
Give yourself enough time to get things done. Time management works wonders for reducing stress. Don't try to pack too much into every moment.
Learn to say "no."
Don't promise too much. Reduce the amount of tension by having a shorter of list items that must be done. This may require you to reevaluate priorities and make difficult choices, but everyone must learn to live within manageable limits.
Add in a healthy lifestyle 
Maintaining a healthy weight, not smoking, regular exercise, and a diet that includes fruits, vegetables, whole grains, lean protein, and healthful fats — and high blood pressure could be a thing of the past.
#Dizziness or #Light-Headedness #When Standing Up
#PROSTATE#HEALTH #AWARENESS
#TOP 12 #FOOD-FOR #HEART-HEALTH

#Eat-Right To #Help-Lever