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Sunday 17 April 2016

चंद्रहासिनी देवी का मंदिर चंद्रपुर, जांजगीर -चांपा जिला छत्तीसगढ़

चंद्रहासिनी देवी का मंदिर चंद्रपुर, जांजगीर -चांपा जिले में स्थित है। महानदी के तट पर स्थित सिद्धपीठ मंदिर मां चंद्रहासिनी के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ बने पौराणिक व धार्मिक कथाओं की झाकियां समुद्र मंथन, महाभारत की द्यूत क्रीड़ा आदि , मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है। चारों ओर से प्राकृतिक सुंदरता से घिरे चंद्रपुर की फ़िज़ा बहुत ही मनोरम है।
सती के अंग जहां-जहां धरती पर गिरे थे, वहां मां दुर्गा के शक्तिपीठ माने जाते हैं। महानदी व माण्ड नदी के बीच बसे चंद्रपुर में मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक स्वरूप मां चंद्रहासिनी के रूप में विराजित है। चंद्रमा की आकृति जैसा मुख होने के कारण इसकी प्रसिद्धि चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी मां के नाम जगत में फैल रही है, लेकिन इसका स्वरूप चंद्रमा से भी सुंदर है। माता चंद्रसेनी के दर्शनमात्र से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मां अपने भक्तों की मनोकामनाएं दो अगरबत्ती व फूल से ही पूर्ण कर देती है।
●महानदी और मांड नदी से घिरा चंद्रपुर, जांजगीर-चांपा जिलान्तर्गत रायगढ़ से लगभग ३२ कि.मी. और सारंगढ़ से २२ कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ चंद्रसेनी देवी का वास है और कुछ ही दुरी (लगभग 1.5कि.मी.) पर माता नाथलदाई का मंदिर है जो की रायगढ़ जिले की सीमा अंतर्गत आता है।
●कहते है कि एक बार चंद्रसेनी देवी सरगुजा की भूमि को छोड़कर उदयपुर और रायगढ़ होते हुए चंद्रपुर में महानदी के तट पर आ गईं। महानदी की पवित्र शीतल धारा से प्रभावित होकर यहाँ पर वे विश्राम करने लगीं। वर्षों व्यतीत हो जाने पर भी उनकी नींद नहीं खुली। एक बार संबलपुर के राजा की सवारी यहाँ से गुज़री और अनजाने में उनका पैर चंद्रसेनी देवी को लग गया और उनकी नींद खुल गई। फिर एक दिन स्वप्न में देवी ने उन्हें यहाँ मंदिर के निर्माण और मूर्ति की स्थापना का निर्देश दिया। जिला छत्तीसगढ़ 
●प्राचीन ग्रंथों में संबलपुर के राजा चंद्रहास द्वारा मंदिरनिर्माण और देवी स्थापना का उल्लेख मिलता है।
●देवी की आकृति चंद्रहास जैसी होने के कारण उन्हें ''चंद्रहासिनी देवी'' भी कहा जाता है। इस मंदिर की व्यवस्था का भार उन्होंने यहाँ के ज़मींदार को सौंप दिया। यहाँ के ज़मींदार ने उन्हें अपनी कुलदेवी स्वीकार कर पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी। आज पहाड़ी के चारों ओर अनेक धार्मिक प्रसंगों, देवी- देवताओं, वीर बजरंग बली और अर्द्धनारीश्वर की आदमकद प्रतिमाएँ, सर्वधर्म सभा और चारों धाम की आकर्षक झाँकियाँ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
सिद्ध शक्तिपीठ मां चद्रहासिनी देवी मंदिर चंद्रपुर मे प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्र के अवसर पर 108 दीपो का महाआरती के साथ पूजा की जाती है। वहीं भक्तों के मनोकामना सिद्ध करने के लिये हजारो की संख्या मे ज्योति कलश प्रज्वलित की जाती है। मां के दरबार मे नवरात्रि के अवसर पर आसपास सहित पूरे प्रदेश व उडि़सा प्रांत के भक्तगण लाखो की संख्या में दर्शन करने पहुंचते है। मान्यता है कि नवरात्रि पर्व के दौरान 108 दीपो की महाआरती मे शामिल होने वाले श्रद्धालू मां के विशेष आशीर्वाद के भागी बनते है। सर्वसिद्धी दायक देवी मां चद्रहासिनी के दरबार में मत्था टेकने वाले प्रत्येक व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। माता का विशेष कृपा पात्र बनने श्रद्धालू नवरात्रि पर्व के दौरान नंगे पंाव तथा कर नापते हुये माता के दरबार में शीश नवानें पहुंचते है।
प्रात: 5 से रात्रि 11 बजे तक खुला रहता है पट
मां का दरबार में नवरात्रि के समय सुबह 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक खुला रहता है। आरती सुबह 5 बजे व रात्रि 8 बजे की जाती है तथा संस्था द्वारा यज्ञो पवित, मुण्डन संस्कार, मांगलिक विवाह, अन्नप्रासन आदि सामाजिक गतिविधियां भी संचालित की जाती है।
कैसे पहुचें चंद्रपुर
चंद्रपुर पहुंचने के लिए श्रद्धालु रेलमार्ग से रायगढ़ या खरसिया स्टेशन में उतरकर बस व अन्य वाहनों से माता के दरबार पहुंच सकते हैं। इसके अलावा जांजगीर, चांपा, सक्ती, सारंगढ़, डभरा से चंद्रपुर जाने के लिए दिन भर बस व जीप आदि की सुविधा है। यात्री यदि चाहे तो चांपा या रायगढ़ से प्राइवेट वाहन किराए पर लेकर भी चंद्रपुर पहुंच सकते हैं। 
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर है। चंद्रहासिनी मंदिर और रायपुर के बीच की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन रायगढ़ रेलवे स्टेशन (चंद्रहासिनी मंदिर से लगभग 30 किमी) मुंबई-हावड़ा मुख्य लाइन से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: बस और टैक्सियां रायगढ़ से लिया जा सकता है।

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