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Thursday 14 April 2016

Drumstick सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर

एक ऐसा पेड़ जिसकी पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण, 92 विटामिन्स, 46 एंटी आक्सीडेंट, 36 दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हों, तो इसे पेड़ की जगह चमत्कार ही मानेंगे न। आपके इर्द-गिर्द यूं ही उगने वाले 'सहजन' में यह सभी गुण मिलते हैं।
इसकी खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। कुपोषण, एनीमिया (खून की कमी) के खिलाफ जंग में सर्वसुलभ और हर जगह पैदा होने वाला सहजन उपेक्षित है।
राष्ट्रीय बागवानी शोध एवं विकास संस्थान (एनएचआरडीएफ) के उप निदेशक डा.रजनीश मिश्र के मुताबिक करीब पांच हजार साल पहले आयुर्वेद ने सहजन की जिन खूबियों को पहचाना था, आधुनिक विज्ञान में वे साबित हो चुकी हैं। दुर्भाग्य से जिनको (आम आदमी) इसके गुणों को जानना चाहिए वही इससे अनजान हैं। डा.मिश्र के अनुसार इसका मूल स्थान हिमालय की तराई ही है। यही वजह है कि यहां जहां-तहां सहजन के पेड़ दिख जाते हैं। इसे दैवी चमत्कार ही कहेंगे कि दुनियां में जहां-जहां कुपोषण की समस्या है वहां सहजन का वजूद है। देश के अपेक्षाकृत प्रगतिशील दक्षिणी भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है। साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने पीकेएम-1 और पीकेएम-2 नाम से दो प्रजातियां विकसित की हैं। पीकेएम-1 यहां के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल भी है। इच्छुक किसानों को एनएचआरडीएफ बीज मुहैया कराने के साथ ही खेती के उन्नत तरीकों के बारे में भी बताएगा'
सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना
-विटामिन सी- संतरे से सात गुना।
-विटामिन ए- गाजर से चार गुना।
-कैलशियम- दूध से चार गुना।
-पोटेशियम- केले से तीन गुना।
-प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना। 
सेंजन, मुनगा,सुजना, या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है। गोरखपुर में राष्ट्रीय बागवानी शोध एवं विकास संस्थान के उपनिदेशक रजनीश मिश्र ने बताया कि करीब पांच हजार वर्ष पूर्व आयुर्वेद ने सहजन की जिन खूबियों को पहचाना था, आज के वैज्ञानिक युग में वे साबित हो चुकी हैं। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहा जाता है। इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में भी सहजन का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है। दक्षिण भारत में व्यंजनों में इसका उपयोग खूब किया जाता है।
पौधे का वर्णन
इसका पौधा लगभग १० मीटर उंचाई वाला होता है किन्तु लोग इसे डेढ़-दो मीटर की उंचाई से प्रतिवर्ष काट देते हैं ताकि इसके फल-फूल-पत्तियों तक हाथ आसानी से पहुँच सके। इसके कच्ची-हरी फलियाँ सर्वाधिक उपयोग में लायी जातीं हैं।
पोषक तत्व
सहजन की कच्ची पत्तियों में
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 0 किलो कैलोरी 0 kJ

कार्बोहाइड्रेट                        8.28 g
- आहारीय रेशा                    2.0 g 
वसा                                1.40 g
प्रोटीन                              9.40 g
पानी                              78.66 g
विटामिन A                       equiv. 378 μg 42%
थायमीन (विट. B1)              0.257 mg 20%
नायसिन (विट. B3)              2.220 mg 15%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)            0.125 mg 3%
विटामिन B6                       1.200 mg 92%
फोलेट (Vit. B9)                40 μg 10%
विटामिन C                       51.7 mg 86%
कैल्शियम                       185 mg 19%
लोहतत्व                            4.00 mg 32%
मैगनीशियम                    147 mg 40% 
मैगनीज़                             0.36 mg 18% 
फॉस्फोरस                       112 mg 16%
पोटेशियम                       337 mg 7%
सोडियम                            9 mg 0%
जस्ता                               0.6 mg 6%

स्रोत: USDA Nutrient database
एशिया और अफ्रीका में कच्ची फलियाँ (ड्रम स्टिक) खायी जाती हैं।सहजन के लगभग सभी अंग (पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज से प्राप्त तेल आदि) खाये जाते हैं।
कम्बोडिया, फिलीपाइन्स, दक्षिणी भारत, श्री लंका और अफ्रीका में पत्तियाँ खायी जाती हैं।
विश्व के कुछ भागों में नयी फलियाँ खाने की परम्परा है जबकि दूसरे भागों में पत्तियाँ अधिक पसन्द की जातीं हैं। इसके फूलों को पकाकर खाया जायता है और इनका स्वाद खुम्भी (मशरूम) जैसा बताया जाता है। अनेक देशों में इसकी छाल, रस, पत्तियों, बीजों, तेल, और फूलों से पारम्परिक दवाएँ बनायी जाती है। जमैका में इसके रस से नीली डाई (रंजक) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
1.सहजन (ड्रमस्टिक्स) या मुनगा जड़ से लेकर फूल और पत्तियों तक सेहत का खजाना है। सहजन के ताजे फूल और गाय का दूध ऐसा हर्बल टॉनिक है जिससे पुरुषों की मर्दाना कमजोरी और महिलाओं में सेक्स की कमजोरी दूर होती है। सहजन की छाल का पावडर रोज लेने से वीर्य की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या भी दूर होती है। छाल का पावडर, शहद और पानी से ऐसा मिश्रण तैयार होता है जो शीघ्रपतन की समस्या का अचूक इलाज है।
2. सहजन पाचन से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर देता है। हैजा, दस्त, पेचिश, पीलिया और कोलाइटिस होने पर इसके पत्ते का ताजा रस, एक चम्मच शहद, और नारियल पानी मिलाकर लें, यह एक उत्कृष्ट हर्बल दवाई है।
3. कुपोषण पीड़ित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। एक से तीन साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह वरदान माना गया है। सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। इसका काढ़ा साइटिका रोग के साथ ही, पैरों के दर्द व सूजन में भी बहुत लाभकारी है।
4. इसका जूस प्रसूता स्त्री को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
5. इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है। इसीलिए महिलाओं व बच्चों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें जिंक भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि पुरुषों की कमजोरी दूर करने में अचूक दवा का काम करता है। इसकी छाल का काढ़ा और शहद के प्रयोग से शीघ्र पतन की बीमारी ठीक हो जाती है और यौन दुर्बलता भी समाप्त हो जाती है।
6. सहजन में ओलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एक तरह का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। साथ ही सहजन में विटामिन सी बहुत मात्रा में होता है। यह कफ की समस्या में भी रामबाण दवा की तरह काम करता है। जुकाम में सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें।इससे जकड़न कम होगी।
7. मुनगा या सहजन या ड्रम स्टिक्स की करीब 50 ग्राम पत्तियों को लेकर चटनी बनाए जाए तो यह पेट के कृमियों को बाहर निकाल फेंकने में काफी कारगर होती है। चटनी बनाने के लिए पत्तियों को बारीक कुचल लिया जाए, इसमें स्वादानुसार नमक और मिर्च पाउडर भी मिला लिया जाए और इस पूरे मिश्रण को तवे या कढाही पर आधा चम्मच तेल डालकर कुछ देर भून लिया जाए। सप्ताह में एक या दो बार इस चटनी का सेवन बेहद गुणकारी होता है।
8. सहजन की पत्तियों का सूप टीबी, ब्रोंकाइटिस तथा अस्थमा पर नियंत्रण के लिए कारगर समझा जाता है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए नींबू का रस, कालीमिर्च और सेंधा नमक मिलाया जा सकता है।
9. यह हाजमें के लिए सबसे मुफीद सब्जी मानी जाती है। 
10. ताजी पत्तियों को निचो़ड़कर निकाले गए रस को एक चम्मच शहद तथा एक गिलास नारियल के पानी के साथ लेना चाहिए। इससे कॉलरा, डायरिया, डीसेंट्री, पीलिया तथा कोलाइटिस की समस्या में आराम मिलता है। 
11. अगर पेशाब में अधिक मात्रा में यूरिया जा रहा हो तो मरीज को सहजन की ताजी पत्तियों के निचोड़े हुए रस के साथ खीरा या गाजर के रस के मिलाकर पिला दें। इससे तत्काल आराम मिलता है।
12. सहजन की ताजा पत्तियों के निचोड़े हुए रस के साथ नींबू के रस से मुंहासों का कारगर इलाज किया जाता है। इससे ब्लेक स्पॉट्स हटते हैं साथ ही उम्र के कारण थकी और कांति हीन त्वचा में नई जान फूंकी जा सकती है। इसी के साथ ही सहजन के फूलों के साथ पत्तियां, सहजन के बीज और जड़ से शरीर में हुई गठानों का इलाज किया जा सकता है।

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